ग्रीस से सीधा बेंगलुरु पहुंचे, ISRO वैज्ञानिकों की थपथपाई पीठ; पढ़ें पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
पीएम मोदी शनिवार सुबह ग्रीस दौरे से सीधा बेंगलुरु पहुंचे। मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से मुलाकात की। इस दौरान मोदी ने वैज्ञानिकों की तारीफ भी की। मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये वो भारत है जो नया सोचता है नए तरीके से सोचता है। जो डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फैला देता है।
By Jagran NewsEdited By: Manish NegiUpdated: Sat, 26 Aug 2023 01:05 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पीएम मोदी साउथ अफ्रीका और ग्रीस दौरे के बाद शनिवार सुबह सीधा बेंगलुरु पहुंचे। चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद पीएम बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों से मिलने पहुंचे। पीएम ने इसरो सेंटर में वैज्ञानिकों को बधाई दी। इस दौरान उन्होंने अपना संबोधन भी दिया।
पीएम मोदी ने कहा कि मैं भारत आते ही जल्द से जल्द आपके दर्शन करना चाहता था। आप सबको सैल्यूट करना चाहता था। सैल्यूट आपके परिश्रम को, सैल्यूट आपके धैर्य को, सैल्यूट आपकी लगन को, सैल्यूट आपके जज्बे को। आप देश को जिस ऊंचाई पर लेकर गए हैं, ये कोई साधारण सफलता नहीं है। ये अनंत अंतरिक्ष में भारत के वैज्ञानिक सामर्थ्य का शंखनाद है।
VIDEO | ISRO chief S Somanath briefs PM Modi about the details of rover Pragyaan and lander Vikram during their interaction at ISRO headquarters in Bengaluru. pic.twitter.com/kJbw1shlHB
— Press Trust of India (@PTI_News) August 26, 2023
पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें
- चंद्रयान-3 लैंडर चंद्रमा की सतह पर जिस स्थान पर उतरा है, उसका नाम ‘शिव शक्ति पॉइंट’ रखा जाएगा।
- चंद्रमा के जिस स्थान पर चंद्रयान-2 ने अपने पदचिह्न छोड़े हैं, वह प्वाइंट अब 'तिरंगा' कहलाएगा। ये तिरंगा प्वाइंट भारत के हर प्रयास की प्रेरणा बनेगा।
- 23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब नेशनल स्पेस डे के रूप में मनाया जाएगा।
- भारत चांद पर है। हमारा राष्ट्रीय गौरव चांद पर रखा गया है। हम वहां पहुंचे जहां कोई नहीं पहुंच सका। हमने वो किया जो पहले कभी किसी ने नहीं किया। ये आज का भारत है। ये वो भारत है जो नया सोचता है, नए तरीके से सोचता है। जो डार्क जोन में जाकर भी दुनिया में रोशनी की किरण फैला देता है।
- मेरी आंखों के सामने 23 अगस्त का वह दिन, वह एक-एक सेकंड बार-बार घूम रहा है। जब टच डाउन कंफर्म हुआ तो जिस तरह यहां ISRO सेंटर में, पूरे देश में लोग उछल पड़े, वह दृश्य कौन भूल सकता है।
- हर भारतीय को लग रहा था कि विजय उसकी अपनी है। हर भारतीय को लग रहा था जैसे वह खुद एक बड़े एग्जाम में पास हो गया है।
- आज पूरी दुनिया, भारत की वैज्ञानिक भावना का, हमारी तकनीक का और हमारे वैज्ञानिक स्वभाव का लोहा माना जाता है।
- एक समय था जब हमारी गिनती तीसरी पंक्ति में होती थी। आज ट्रेड से लेकर तकनीक तक, भारत की गिनती पहली पंक्ति यानी में खड़े देशों में हो रही है। तीसरी पंक्ति से पहली पंक्ति तक की इस यात्रा में हमारे इसरो जैसे संस्थानों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।