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'भाषा पर राजनीति करने वालों की बंद होगी दुकान', PM Modi बोले- प्रतिभा की राह में अब नहीं बनेगी रोड़ा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने का फिर से समर्थन किया है और कहा है कि दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों ने अपनी भाषा की बदौलत ही बढ़त हासिल की है। उन्होंने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि कोई कितना भी प्रखर बुद्धि का क्यों न होअगर वह अंग्रेजी नहीं बोल सकता था तो उसकी प्रतिभा को जल्दी स्वीकार नहीं किया जाता था।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 29 Jul 2023 09:59 PM (IST)
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भाषा पर राजनीति करने वालों की बंद होगी दुकान: मोदी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने का फिर से समर्थन किया है और कहा है कि दुनिया के ज्यादातर विकसित देशों ने अपनी भाषा की बदौलत ही बढ़त हासिल की है। हमने समृद्ध भाषाएं होने के बाद भी अपनी भाषाओं को पिछड़ेपन के तौर पर पेश किया।

एनईपी आने से खत्म हो गई भाषा की दीवार

पीएम मोदी ने कहा कि इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है कि कोई कितना भी प्रखर बुद्धि का क्यों न हो, अगर वह अंग्रेजी नहीं बोल सकता था तो उसकी प्रतिभा को जल्दी स्वीकार नहीं किया जाता था। हालांकि, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) आने से भाषा की यह दीवार खत्म हो गई है। युवाओं को अपनी भाषा में पढ़ने का मौका मिलेगा। इससे भाषा को लेकर न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि उनकी प्रतिभा भी खुलकर सामने आएगी।

भाषा की राजनीति करने वालों पर साधा निशाना

पीएम ने इस मौके पर भाषा की राजनीति करने वालों पर भी निशाना साधा और कहा कि इसका देश को एक और बड़ा लाभ यह मिलेगा कि जो लोग भाषा की राजनीति करके अपनी नफरत की दुकान चलाते थे, उनका भी शटर डाउन हो जाएगा। पीएम मोदी शनिवार को एनईपी के तीन साल पूरा होने के मौके पर प्रगति मैदान के 'भारत मंडपम' में आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम को संबोधित कर रहे थे।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से देश की हर भाषा को मिलेगा सम्मान और बढ़ावा

इस मौके पर उन्होंने कहा कि युवाओं को उनकी प्रतिभा की जगह भाषा के आधार पर आंका जाना उनके साथ बड़ा अन्याय है। मातृभाषा में पढ़ाई होने से इन युवाओं के साथ असली न्याय की शुरुआत होने जा रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से देश की हर भाषा को सम्मान और बढ़ावा मिलेगा। पीएम ने कहा कि मैं खुद संयुक्त राष्ट्र में भी भारत की भाषा में ही बोलता हूं।

पीएम मोदी ने जारी की 'पीएम श्री' योजना की पहली किस्त

पीएम ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले बदलावों को एक युग बदलने जैसा बताया और कहा कि इसमें समय लगेगा। हम नीति से जुड़ी ढेरों पहलों पर आगे बढ़े हैं। पीएम ने इस मौके पर 'पीएम श्री' योजना के तहत चयनित 6,207 स्कूलों के अपग्रेडेशन के लिए 630 करोड़ रुपये की पहली किस्त भी जारी की।

किसी भी सुधार के लिए साहस की होती है जरूरत

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह से अमल में लाने वाले इस तरह के स्कूल प्रत्येक ब्लाक में दो बनाए जाएंगे। इन्हें पीएम श्री (प्रधानमंत्री-स्कूल आफ राइजिंग इंडिया) नाम दिया गया है। मोदी ने शिक्षाविदों और छात्रों से कहा कि किसी भी सुधार के लिए साहस की जरूरत होती है। जहां साहस होता है, वहीं नई संभावनाएं जन्म लेती हैं। यही वजह है कि पूरी दुनिया आज भारत को नई संभावनाओं की नर्सरी के रूप में देख रही है।

साफ्टवेयर टेक्नोलाजी में है भारत का भविष्य

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया को पता है कि जब साफ्टवेयर टेक्नोलाजी की बात आएगी, तो भविष्य भारत का है। स्पेस टेक की बात होगी, तो भारत की क्षमता का मुकाबला आसान नहीं है। रक्षा प्रौद्योगिकी की बात होगी तो कम कीमत और बेहतर गुणवत्ता का भारत का माडल ही हिट होने वाला है।

बच्चों के भीतर भरना है आत्मविश्वास

उन्होंने अभिभावकों और शिक्षकों से कहा कि बच्चों को हमें खुली हवा में उड़ने का मौका देना होगा। हमें उनके भीतर आत्मविश्वास भरना है। समर्थ युवाओं का निर्माण सशक्त राष्ट्र के निर्माण की सबसे बड़ी गारंटी है। पीएम ने इस मौके पर एनईपी के तहत उठाए गए कदमों और छात्रों के इनोवेशन पर आधारित एक प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया।

औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर लाएगी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति

अखिल भारतीय शिक्षा समागम को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी संबोधित किया और कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में 21वीं सदी के नए भारत को नई दिशा देने वाली है। साथ ही यह औपनिवेशिक मानसिकता से हमें बाहर निकालने वाली पहल भी है। यह भारत के मूल्यों व भारतीयता को जोड़ने की कोशिश है।

इस दौरान मंत्रालय के राज्य मंत्री, देश भर के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति सहित तीन हजार से ज्यादा शिक्षाविद मौजूद थे।