Move to Jagran APP

'छोटे किसान भारत की सबसे बड़ी ताकत', पीएम मोदी बोले- कई देशों में काम आ सकता है हमारा मॉडल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक खाद्य संकट के समाधान के लिए काम कर रहा है। भारत मिलेट्स का सबसे बड़ा उत्पादक है। जिन्हें दुनिया सुपरफूड कहती है और उसे हमने श्रीअन्न की पहचान दी। हमारे अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sat, 03 Aug 2024 09:32 PM (IST)
Hero Image
कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को पीएम मोदी ने किया संबोधित।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि अर्थशास्त्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा के साथ ही पोषण को भी जरूरी बताया। इसके लिए प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि छोटे किसान भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं। यहां के 90 प्रतिशत किसानों के पास बहुत कम जमीन है। कई विकासशील देशों की भी ऐसी ही स्थिति है। इसलिए हमारा मॉडल कई देशों के काम आ सकता है।

यह भी पढ़ें: 'कांग्रेस के समय पैसे और सिफारिश पर मिलती थी नौकरियां', BJP नेता किरण चौधरी ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप

पांच दिन चलेगा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में कृषि अर्थशास्त्रियों का यह 32वां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, जो पांच दिनों तक चलेगा। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि कृषि हमारी आर्थिक नीतियों के केंद्र में है। इस दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद थे।

दूध, दाल व मसालों का भारत सबसे बड़ा उत्पादक

भारत में पहला कृषि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 1958 में हुआ था। पीएम मोदी ने 65 वर्ष पहले के उस दौर को याद करते हुए कहा कि तब भारत आजाद ही हुआ था और हमारी खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए बड़ी चुनौती थी, मगर आज हम खाद्य अधिशेष देश हैं। दूध, दाल एवं मसालों का सबसे बड़ा तथा खाद्यान्न, फल सब्जी, कपास, चीनी, चाय एवं मछली का दूसरा बड़ा उत्पादक हैं।

बजट में कृषि के सतत विकास पर फोकस

खाद्य के साथ पोषण सुरक्षा के लिए भी हम दुनिया को समाधान दे रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती को प्रोन्नत कर रहे हैं। इसके परिणाम भी अच्छे आ रहे हैं। इस साल के बजट में कृषि के सतत विकास पर बड़ा फोकस है। हमारा जोर शोध पर है। दस सालों में हमने जलवायु के अनुकूल फसलों की 19 सौ प्रजातियां दी हैं।

सुपरफूड के रूप में उभरा काला चावल

पीएम ने कहा कि चावल की कुछ किस्में ऐसी हैं, जिन्हें 20 प्रतिशत कम पानी चाहिए। काला चावल सुपरफूड के रूप में उभरा है। हम पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे कृषि और पर्यावरण दोनों को लाभ हो रहा है। कृषि की चुनौतियों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन के साथ ही पोषण बड़ी चुनौती है। इसका समाधान भारत के पास है।

देश में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र

पीएम ने कहा कि हम मिलेट्स के सबसे बड़े उत्पादक हैं। अपने इस बास्केट को दुनिया के साथ साझा करना चाहते हैं। भारत में कृषि शिक्षा और अनुसंधान का मजबूत इकोसिस्टम है। इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के ही सौ से ज्यादा रिसर्च संस्थान हैं। कृषि और संबंधित विषयों की पढ़ाई के लिए पांच सौ से ज्यादा कॉलेज हैं। सात सौ से ज्यादा कृषि विज्ञान केंद्र हैं जो किसानों तक नई तकनीक पहुंचाने में मदद करते हैं।

प्राचीन कृषि परंपरा का जिक्र भी किया

पीएम ने अर्थशास्त्रियों को भारत की प्राचीन कृषि परंपरा के बारे में भी बताया। कहा कि भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही पुरानी कृषि को लेकर हमारी मान्यताएं हैं। खाद्यान्न और पोषण पर आज इतनी चर्चा हो रही है, किंतु हजारों वर्ष पहले हमारे ग्रंथों में कहा गया है कि सभी पदार्थों में अन्न श्रेष्ठ है। इसीलिए अन्न को औषधीय प्रभावों के साथ इस्तेमाल करने का पूरा आयुर्वेद विज्ञान है, जो भारतीय जीवन का हिस्सा है।

ग्रंथ का किया जिक्र

पीएम ने कहा कि दो हजार वर्ष पहले का ग्रंथ कृषि पराशर वैज्ञानिक खेती का दस्तावेज है। इसमें कृषि पर ग्रहों एवं नक्षत्रों का प्रभाव, बादलों के प्रकार, वर्षा को नापने का तरीका, मौसम पूर्वानुमान, जैविक खाद, पशुओं की देखभाल, बीज की सुरक्षा, भंडारण आदि अनेक विषयों पर विस्तार से बताया गया है।

यह भी पढ़ें: 'लोग कोर्ट के मामलों से इतना त्रस्त हो जाते कि बस समझौता चाहते हैं', CJI चंद्रचूड़ ने ऐसा क्यों कहा