सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की कमेटी करेगी पीएम की सुरक्षा में चूक की जांच
सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति गठित करने के लिए सहमत हुआ है। समिति में चंडीगढ़ के डीजीपी आईजी एनआईए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और पंजाब के एडीजीपी को शामिल करने का प्रस्ताव रखा है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Mon, 10 Jan 2022 12:38 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और पंजाब सरकार से उनकी जांच कमेटियों की जांच रोके रखने को कहा है। इससे पहले केंद्र और पंजाब सरकार की ओर से एक दूसरे की जांच कमेटियों पर सवाल खड़े किए गए थे। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, सूर्यकांत और हिमा कोहली की पीठ ने सोमवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह गंभीर मसला है । इसकी जांच के बारे में विस्तृत आदेश जारी करेगा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि उस जांच कमेटी में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, चंडीगढ़ के डीजीपी और एनआइए के आईजी भी शामिल हो सकते हैं। संकेत साफ है कि पंजाब के अधिकारियों के इससे बाहर रखा जाएगा। सोमवार को प्रधान न्यायाधीश ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले उन्हें रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। एडवोकेट जनरल डीएस पटवालिया ने कहा कि केंद्र सरकार की जांच कमेटी की जांच को रोका जाए क्योंकि उन्हें वहां से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। केंद्र की कमेटी ने राज्य के मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों को सात कारण बताओ नोटिस भेजे हैं। केंद्र की कमेटी बगैर किसी जांच और सुनवाई के ही अधिकारियों को दोषी मान रही है। कारण बताओ नोटिस में कहा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
उधर दूसरी ओर पंजाब सरकार की ओर से लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए तुषार मेहता ने कहा कि केंद्रीय जांच कमेटी ने मुख्य सचिव और डीजीपी को कारण बताओ नोटिस भेजे हैं उन्होंने कोर्ट का ध्यान एसपीजी कानून और पीएम की सुरक्षा की ब्लू बुक की ओर दिलाया जिसमें प्रधानमंत्री की सुरक्षा के समय सुरक्षा इंतजाम करने की राज्य सरकार की जिम्मेदारी बताई गई थी। मेहता ने कहा कि प्रधानमंत्री अचानक वहां नहीं गए थे उनका वह तय कार्यक्रम था इसकी जानकारी पहले से राज्य के अधिकारियों को थी। मौसम खराब होने के कारण प्रधानमंत्री सड़क के रास्ते गए थे और इस बात की जानकारी राज्य सरकार को थी। पांच जनवरी को प्रधानमंत्री को जाना था और उसके 24 घंटे पहले 4 जनवरी को रिहर्सल भी हुआ था।
उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक प्रधानमंत्री की सुरक्षा के नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी राज्य के डीजीपी, आइजी, पुलिस अधिकारियों और प्रशासन पर होती है। नियमों में साफ लिखा है कि प्रेशर प्वाइँट पर बैरिकेटिंग लगाई जाएगी। भीड़ को रोका जाएगा लेकिन वहां सुबह से भीड़ एकत्र होती रही, भीड़ को नहीं रोका गया। पीएम का काफिला भीड़ से 100 मीटर की दूरी पर पहुंच गया लेकिन कोई सूचना नहीं दी गई। काफिले के आगे राज्य की वार्निग वैन चलती है जो कि रास्ता साफ न होने पर सूचित करती है लेकिन उसने भी कोई सूचना नहीं दी। लगातार सूचित करते रहने चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मेहता ने कहा कि पूरी तरह से इंटेलीजेंस फेलियर था।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की कमेटी सिर्फ इस बात की जांच कर रही है कि चूक कहां हुई। इन दलीलों पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यहां मुद्दा यह है कि जांच कमेटी का दायरा क्या है। अगर आपकी कमेटी जांच कर रही है तो फिर इस कोर्ट के सुनवाई का क्या औचित्य है। मेहता ने कहा कि उनका सुझाव है कि केंद्र की कमेटी जांच करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी और कोर्ट उसकी जांच करे तथा तबतक उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मेहता ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार केंद्र की जांच कमेटी में एसपीजी के आइजी एस. सुरेश के शामिल होने पर सवाल उठा रही है ऐसे में उनकी जगह एसपीजी के डीजी को कमेटी में शामिल किया जा सकता है।
लेकिन पंजाब सरकार की ओर से लगातार केंद्र की जांच कमेटी का विरोध किया जाता रहा। पंजाब ने कहा कि कोर्ट कोई निष्पक्ष जांच कमेटी गठित करे उसे केंद्र की कमेटी से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि वह उन्हें पहले ही दोषी मान चुकी है।इन दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि वह इस दिशा में आदेश देने की सोच रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बनाई जाए। इस कमेटी में अन्य सदस्य चंडीगढ़ के डीजीपी, एनआइए के आईजी, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल तथा एक व्यक्ति पंजाब से हो जिसमें एडीशनल डीजीपी सिक्योरिटी हो सकता है। कोर्ट ने जारी किये जाने वाले आदेश की रुपरेखा बताई और कहा कि विस्तृत आदेश इस बारे में बाद में जारी किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि इस बीच बाकी सारी जांचे रुकी रहनी चाहिए। गत पांच जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक रैली को संबोधित करने के लिए पंजाब गए थे वहां उन्हें कई और कार्यक्रमों में भी भाग लेना था लेकिन ब¨ठडा से फिरोजपुर जाते वक्त प्रधानमंत्री के काफिले रास्ते में आए प्रदर्शनकारियों के करण करीब 20 मिनट तक फ्लाइओवर पर फंसा रहा था। इसके बाद आधिकारिक तौर पर राजनीतिक तौर पर बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया था। इसकी जांच के लिए केंद्र सरकार और पंजाब सरकार ने अलग अलग जांच कमेटियां गठित की हैं। लेकिन इसी बीच लायर्स वाइस संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर पूरे मामले की प्रभावी और गंभीर जांच कराने की मांग की जिस पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने पंजाब के हाथ बांधते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे से संबंधित सारे दस्तावेज एकत्र करके सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि चंडीगढ़ के डीजीपी और एनआइए के अधिकारी इसमें रजिस्ट्रार जनरल का सहयोग करेंगे।
क्या है पूरा मामला?पीएम मोदी पंजाब के फिरोजपुर पहुंचकर 42,750 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं की आधारशिला रखने वाले थे। इसके लिए उन्हें सड़क के रास्ते से राष्ट्रीय शहीद स्मारक ले जाया जा रहा था क्योंकि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर से जाना संभव नहीं था। लेकिन कार्यक्रम स्थल से कुछ दूरी पर किसानों ने प्रदर्शन करते हुए सड़क को ब्लॉक कर लिया, जिसके चलते प्रधानमंत्री का काफिला 15-20 मिनट तक फ्लाईओवर पर ही फंसा रहा। सड़क खाली नहीं होने की स्थिति में उन्हें अपनी रैली रद कर वापस लौटना पड़ा।