पीएम मोदी ने क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनों के लिखे जाने की वकालत की, कहा- गरीब से गरीब व्यक्ति भी समझ पाए
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों सालों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए। (फोटो सोर्स ANI )
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Sat, 15 Oct 2022 01:01 PM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कानून मंत्रियों और कानून सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में सरदार पटेल से प्रेरणा लेकर भारत आगे बढ़ रहा है। साथ ही कहा कि भारत के समाज की विकास यात्रा हजारों सालों की है। तमाम चुनौतियों के बावजूद भारतीय समाज ने निरंतर प्रगति की है। पीएम मोदी ने कहा कि देश ने डेढ़ हजार (1500) से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानूनों को रद कर दिया है। इनमें से अनेक कानून तो गुलामी के समय से चले आ रहे थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कानून बनाते हुए हमारा फोकस होना चाहिए कि गरीब से गरीब भी नए बनने वाले कानून को अच्छी तरह समझ पाएं। किसी भी नागरिक के लिए कानून की भाषा बाधा न बने, हर राज्य इसके लिए भी काम करे। इसके लिए हमें लॉजिस्टिक और इंफ्रास्ट्रक्चर का सपोर्ट भी चाहिए होगा।
मातृभाषा में बनाना होगा एकेडमिक सिस्टम
कानून मंत्रियों और कानून सचिवों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए मातृभाषा में एकेडमिक सिस्टम भी बनाना होगा। लॉ से जुड़े कोर्सेस मातृभाषा में होने चाहिए। हमारे कानून सरल, सहज भाषा में लिखे जाएं। साथ ही कहा कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण केसेस की डिजिटल लाइब्रेरी स्थानीय भाषा में होने चाहिए। इसके लिए हमें काम करना होगा।देश के लोगों को सरकार का दबाव महसूस नहीं होना चाहिए
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि टेक्नोलॉजी किस तरह से आज न्याय व्यवस्था का भी अभिन्न अंग बन गई है। इसे हमेने कोरोना काल में भी देखा है। साथ ही कहा कि आज देश में ई कोर्ट्स मिशन (e-Courts Mission) तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि देश के लोगों को सरकार का अभाव भी नहीं लगना चाहिए और देश के लोगों को सरकार का दबाव भी महसूस नहीं होना चाहिए।
32,000 अनुपालनों को हटा दिया
कानून मंत्रियों के अखिल भारतीय सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि पीछे हटने वाले औपनिवेशिक कानूनों को हटाकर उपनिवेशवाद की बेड़ियों को तोड़ना हमारे लिए जरूरी है। तभी भारत सही मायने में प्रगति कर सकता है। पिछले 8 सालों में हमने जीवन को आसान बनाने के लिए 32,000 अनुपालनों को हटा दिया है। साथ ही कहा कि लोक अदालतों के माध्यम से देश में कई मामलों का समाधान किया गया है।
गुजरात में शुरू हुईं शाम की अदालतें
पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात में हमने शाम की अदालतें शुरू कीं हैं। इन अदालतों में छोटे-मोटे अपराधों के मामलों की सुनवाई की गई, जिससे अदालतों पर बोझ कम हुआ और मामलों का त्वरित समाधान हुआ। जब कानून और व्यवस्था सामाजिक प्रगति के साथ तालमेल बिठाती है, तो यह सुनिश्चित करता है कि न्याय में आसानी हो। दो दिवसीय सम्मेलन की मेजबानी गुजरात के एकता नगर में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा की जा रही है।कानून के आपसी सहयोग में सुधार करने में यह सम्मेलन होगा सक्षम
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि इस बैठक का उद्देश्य नीति निर्माताओं के लिए भारतीय कानूनी और न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक आम मंच प्रदान करना है। इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, नए विचारों का आदान-प्रदान करने और अपने आपसी सहयोग में सुधार करने में सक्षम हैं। इस कार्यक्रम में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कानून मंत्री और सचिव शामिल हैं। यह भी पढ़ें : मणिपुर में चार से अधिक बच्चों वाले परिवारों को कोई सरकारी लाभ नहीं, कैबिनेट की बैठक में किया गया फैसला यह भी पढ़ें : तमिलनाडु: स्कूल में 100 छात्र अचानक हुए बीमार, सेप्टिक टैंक गैस रिसाव से हुई उल्टियां, 67 अस्पताल में भर्ती