दक्षिण भारत की राजनीति में भी श्रीराम की धमक, पीएम मोदी की आंध्र प्रदेश व केरल की यात्रा से राजनीति का चढ़ा पारा
अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गूंज दक्षिण में भी उत्तर की तरह ही देखी जा रही है। वहां भी समर्थन और विरोध की राजनीति जारी है। मूर्तिकार अरुण योगीराज रामलला की प्रतिमा बनाकर आस्था के प्रतिक बन गए हैं तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह दक्षिण भारत के कुछ नेताओं को भी अयोध्या कांड में राजनीति नजर आने लगी है।
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गूंज दक्षिण में भी उत्तर की तरह ही देखी जा रही है। वहां भी समर्थन और विरोध की राजनीति जारी है। मूर्तिकार अरुण योगीराज रामलला की प्रतिमा बनाकर आस्था के प्रतिक बन गए हैं तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह दक्षिण भारत के कुछ नेताओं को भी अयोध्या कांड में राजनीति नजर आने लगी है।
दक्षिण की दो दिवसीय यात्रा पर पीएम मोदी
इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दक्षिण के राज्यों आंध्र प्रदेश एवं केरल की दो दिनों की यात्रा से दक्षिण की राजनीति का पारा चढ़ गया है। भाजपा की राजनीति के दक्षिण की ओर प्रस्थान से तेलंगाना और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों का घबराना लाजिमी है। दोनों राज्यों में अभी कांग्रेस की सरकार है और राहुल गांधी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को नरेन्द्र मोदी का कार्यक्रम बताकर राजनीति को नई दिशा देने का प्रयास किया है।
तेलंगाना के सीएम ने चली नई चाल
उत्तर की तरह भाजपा यदि दक्षिण के माहौल को भी अयोध्या से जोड़ने में सफल हो गई तो दोनों राज्यों की सत्ताधीशों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। यही कारण है कि बीच की राह तलाशी जा रही है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को भद्राचलम के राम मंदिर में ही अयोध्या नजर आने लगा है।यह भी पढ़ेंः Shri Ramotsav In Noida: जब मीडिया संशय में था, तब दैनिक जागरण का स्पष्ट उद्देश्य था मंदिर निर्माण
उन्होंने कहा है कि अयोध्या और भद्राचलम में कोई फर्क नहीं है। अयोध्या श्रीराम मंदिर आंदोलन से जुड़े श्रीकांत पुजारी की दो हफ्ते पहले गिरफ्तारी के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को भी अब दक्षिण में ही भगवान राम नजर आने लगे हैं। उन्होंने कहा है कि वह श्रीराम का अनुशरण करते हैं और अपने गांवों के राम मंदिरों का निरंतर दौरा करते हैं।
सामान्य तौर पर माना जाता है कि श्रीराम के अयोध्या से दक्षिण भारत के राज्यों का फासला बड़ा है, लेकिन भगवान राम को उत्तर और दक्षिण में बांटकर नहीं देखा जा सकता है। इस बार सभी दिशाओं के लोग आस्था में समान रूप से सराबोर नजर आ रहे हैं। इसका कारण भी है। सनातन के अधिकतर भव्य एवं बड़े मंदिर दक्षिण भारत में ही स्थित हैं।