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दुबई जाएंगे पीएम मोदी, रणनीतिक तौर पर और बढ़ेगी यूएई की अहमियत; दोनों देशों के बीच एफटीए वार्ता अहम दौर में

यूएई ने वर्ष 2018 में भारत के ढांचागत क्षेत्र में 100 अरब डालर के निवेश की बात कही थी। इसको लेकर भी दोनो पक्षों के बीच बात हो रही है। सूत्रों के मुताबिक आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद यूएई के निवेश पर तेजी से काम होगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Tue, 28 Dec 2021 07:50 AM (IST)
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो ।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वर्ष 2022 में विदेश दौरों की शुरुआत पीएम नरेंद्र मोदी दुबई की यात्रा से करेंगे। यह यात्रा इस बात का भी उदाहरण होगा कि भारत के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की रणनीतिक अहमियत कितनी बढ़ती जा रही है। पीएम मोदी की दुबई यात्रा 06 जनवरी, 2022 से शुरु हो सकती है। इसे दौरान उनके दुबई एक्सपो में भाग लेने की संभावना है। दोनो देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को आकार देने के बीच वार्ता चल रही है और पीएम मोदी की यात्रा के दौरान इस बारे में अहम घोषणा होने की भी संभावना है। पीएम मोदी के कार्यकाल में यूएई के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया है।

सितंबर, 2021 में दोनो देशों ने ऐलान किया था कि वह जल्द ही एफटीए पर समझौता करेंगे। सूत्रों के मुताबिक समझौते के प्रारूप को अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि मोदी की यात्रा के दौरान एक शुरुआती ऐलान हो सके। यह मोदी सरकार के पिछले सात वर्षों के कार्यकाल में पहला मौका होगा जब किसी देश के साथ एफटीए करेगा। हालांकि, हाल के महीनों में पांच देशों के साथ एफटीए को लेकर वार्ता शुरू की गई है।

दुबई एक्सपो में भी स्थाई प्रदर्शनी स्थल बनाने वाला भारत गिने चुने देशों में शामिल है। यह बताता है कि भारत के लिए यूएई को कितनी अहमियत दे रहा है। इसके पीछे सिर्फ यही वजह नहीं है कि वहां 33 लाख भारतीय रहते हैं बल्कि वैश्विक कूटनीति में खाड़ी क्षेत्र के बढ़ते महत्व को देखते हुए भी भारत दुबई समेत यूएई के दूसरे राज्यों के साथ रिश्तों को मजबूत बनाने पर लगातार काम कर रहा है।

आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद यूएई के निवेश पर होगा तेजी से काम

यूएई ने वर्ष 2018 में भारत के ढांचागत क्षेत्र में 100 अरब डालर के निवेश की बात कही थी। इसको लेकर भी दोनो पक्षों के बीच बात हो रही है। सूत्रों के मुताबिक आर्थिक समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद यूएई के निवेश पर तेजी से काम होगा। भारत दुबई को भविष्य में अपने अंतरराष्ट्रीय कारोबार के एक बड़े हब के तौर पर देख रहा है। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी यह बात कही थी कि पूर्व में सिंगापुर और पश्चिम में दुबई भारत के अंतराष्ट्रीय कारोबार का केंद्र होगा।