Sela Tunnel: आंधी-तूफान में भी LAC पर होगी फास्ट आर्मी मूवमेंट, टेंशन में चीन; सेला सुरंग की खास बातें
Sela Tunnel 13000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सेला सुरंग अरुणाचल प्रदेश के तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। सेला पास के नजदीक स्थित सुरंग की काफी जरूरत थी क्योंकि भारी वर्षा के कारण बर्फबारी और भूस्खलन होने पर बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग साल में लंबे समय तक बंद रहता है। अब हर मौसम में आर्मी मूवमेंट आसान और संभव होगी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Sela Tunnel: भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र की ओर बेहतर पहुंच के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में सेला सुरंग का उद्घाटन करेंगे।
इस सुरंग को अरुणाचल प्रदेश की प्रगति के साथ ही इस भारतीय सेना के लिए भी बेहद अहम माना जा रहा है। इस सुरंग का रणनीतिक महत्व है क्योंकि इससे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पूर्वी क्षेत्र में तेजी से सैनिकों की तैनाती हो सकेगी।
सेला सुरंग की खासियत
असम के तेजपुर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग को जोड़ने वाली सड़क पर स्थित सुरंग की आधारशिला पीएम मोदी ने फरवरी, 2019 में रखी थी। इससे तेजपुर से तवांग तक यात्रा के समय में एक घंटे से अधिक की कमी आएगी। केंद्र के सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की इस परियोजना में दो सुरंगें और एक लिंक रोड शामिल है।सुरंग 1, 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब होगी, जबकि सुरंग 2, 1.5 किमी लंबी होगी जिसमें यातायात और आपातकालीन सेवाओं के लिए एक बाईलेन ट्यूब होगी। दोनों सुरंगों के बीच 1,200 मीटर लंबी लिंक रोड होगी। तवांग जिले को शेष अरुणाचल प्रदेश से जोड़ने वाली यह सुरंग हर मौसम में आवागमन के लिए उपलब्ध रहेगी।
सफर का समय होगा कम
सेला सुरंग सफर के समय को भी पहले के मुकाबले काफी कम कर देगा। यह सुरंग अरुणाचल के पश्चिम कामेंग जिले में तवांग और दिरांग के बीच की दूरी को 12 किमी तक कम करेगा, जिससे लगभग 90 मिनट बच सकते हैं। बता दें कि सेला सुरंग दुनिया की सबसे लंबी डबल-लेन सुरंग है।