PM Modi To Attend SCO Summit: एससीओ बैठक में भाग लेंगे पीएम मोदी, जानिए किन मुद्दों पर होगी चर्चा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15-16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान जाएंगे। इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। बैठक के बाद पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी चर्चा करेंगे।
By Versha SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 11:59 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। SCO की बैठक ऐसे समय में होने जा रही है जब दुनिया के कई देशों के बीच समीकरण बिगड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15-16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए उज्बेकिस्तान जाएंगे। सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ हिस्सा लेंगे ये नेता यूक्रेन-रूस जंग के बाद पहली बार एक मंच पर होंगे।
SCO सदस्य राज्यों (SCO-CoHS) के प्रमुखों की परिषद का 22 वां शिखर सम्मेलन COVID-19 महामारी के दो साल बाद गुरुवार को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शुरू होने वाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों के लिए आज और शुक्रवार को शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहां वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्जियोयेव के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। 14 सितंबर को समरकंद में शुरू होने वाले शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी अन्य द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी।
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी के भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने की उम्मीद है। उज्बेकिस्तान एससीओ 2022 का वर्तमान अध्यक्ष है। भारत एससीओ का अगला अध्यक्ष होगा।
वहीं, ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ के साथ वन टू वन मुलाकात होगी?
एससीओ में वर्तमान में आठ सदस्य राज्य (चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान), चार पर्यवेक्षक राज्य पूर्ण सदस्यता (अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया) और छह "डायलाग पार्टनर्स" (आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की) शामिल हैं।एससीओ में विभिन्न नए क्षेत्रों में संभावनाएं हैं, जिसमें सभी सदस्य-राज्य अभिसरण हित पा सकते हैं। भारत पहले ही स्टार्टअप्स और इनोवेशन, साइंस एंड टेक्नोलाजी और ट्रेडिशनल मेडिसिन में सहयोग के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
भारत ने अपनी पूर्ण सदस्यता के समय से ही पूरे यूरेशियाई क्षेत्र और विशेष रूप से एससीओ सदस्य देशों की शांति, समृद्धि और स्थिरता को प्रोत्साहित करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं।भारत के लिए शिखर सम्मेलन का क्या है महत्व?इस शिखर सम्मेलन में भारत की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण होगी। शिखर सम्मेलन के अंत में भारत इसकी अध्यक्षता ग्रहण करेगा। सितंबर 2023 तक यानी पूरे एक साल तक भारत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता करेगा।
आम तौर पर एससीओ को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के पूर्वी समकक्ष के रूप में देखा जाता है। एससीओ का एक उद्देश्य मध्य एशिया में अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करना है। इसलिए भारत में चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। भारत और चीन दोनों ही देशों की उपस्थिति संगठन को सबसे बड़ा जनसंख्या कवरेज देती है।शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी से प्रधानमंत्री को विभिन्न सुरक्षा और सहयोग के मुद्दों पर विश्व नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने का अवसर मिल सकता है।
क्या है शिखर सम्मेलन का एजेंडा ?इस शिखर सम्मेलन में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से उभरने वाले भू-राजनीतिक संकट पर चर्चा होने की संभावना है। इसके अलावा तालिबान शासित अफगानिस्तान की स्थिति भी चिंता का विषय होगी, क्योंकि एससीओ के कई प्रतिभागी देश अफगानिस्तान के पड़ोसी हैं।प्रधानमंत्रियों और अन्य राष्ट्राध्यक्षों के बीच निर्धारित द्विपक्षीय बैठकों पर कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। हालांकि, शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग के बीच एक बैठक (यदि ऐसा होता है) को करीब से देखा जा सकता है। दोनों देश मई 2020 के बाद से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर एक सैन्य घटना को लेकर आमने-सामने हैं। कई समाचार रिपोर्टों के आधार पर प्रधानमंत्री मोदी संभवतः व्लादिमीर पुतिन और अब्राहिम रायसी से भी मिल सकते हैं।
ईरानी तेल के आयात के मुद्दे पर चर्चा की उम्मीदईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के डिप्टी चीफ आफ स्टाफ मोहम्मद जमशेदी ने भी मीडिया से बातचीत के क्रम में बताया कि ईरानी नेता समरकंद में मोदी, पुतिन, शी और तुर्की के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। सूत्रों की मानें तो ईरानी पक्ष द्वारा बैठक में भारत द्वारा ईरानी तेल के आयात को फिर से शुरू करने के मुद्दे को उठाने की उम्मीद है। तेहरान ने हाल के महीनों में कई बार नई दिल्ली के साथ इस मामले को उठाया है, खासकर जब भारत ने यूक्रेन संघर्ष के बाद रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है।