Independence Day 2023: विश्वास से लबालब PM मोदी, स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में स्पष्ट कर दीं कई बातें
लाल किला से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन ने कई बातें शीशे की तरह साफ कर दी। पहली बात यह कि उनके और जनता के बीच दूसरा कोई नहीं है। दूसरी बात यह कि सरकार के काम के प्रति उनका खुद का विश्वास अटल है। तीसरी बात यह कि विपक्ष को उनसे मुकाबला करना है तो एक ऐसे अदद चेहरे की तलाश करनी ही होगी
आशुतोष झा, नई दिल्ली। लाल किला से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन ने कई बातें शीशे की तरह साफ कर दी। पहली बात यह कि उनके और जनता के बीच दूसरा कोई नहीं है। दूसरी बात यह कि सरकार के काम के प्रति उनका खुद का विश्वास अटल है।
तीसरी बात यह कि विपक्ष को उनसे मुकाबला करना है तो एक ऐसे अदद चेहरे की तलाश करनी ही होगी, जिसका ट्रैक रिकार्ड भरोसे के काबिल हो और चौथी यह कि आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष को भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण पर जवाबदेह बनाया जाएगा। विपक्षी एकजुटता को तोड़ने या कमजोर करने के लिए भी पीएम मोदी इन मुद्दों से कोई समझौता नहीं करेंगे।
पीएम मोदी के नाम पर BJP को मिली जीत
यूं तो भाजपा के लगातार दो बार बहुमत के साथ सत्ता में आने का कारण ही पीएम मोदी रहे हैं। वोट उनके ही चेहरे पर पड़ता रहा है, जनता उनके ही वादों पर भरोसा करती रही है। 2019 चुनाव में मोदी है तो मुमकिन है जैसे नारे देकर भी यह स्पष्ट कर दिया गया था। फिर भी दबे छुपे यह चर्चा चलती या चलाई जाती रही है कि पार्टी के अंदर एक गुट थोड़ा असंतुष्ट है। हालांकि ऐसी कोई स्थिति नहीं है।
'मोदी की गारंटी' के साथ लोगों से किया संवाद
बुधवार को विश्वास से भरे प्रधानमंत्री ने जिस तरह 'मोदी की गारंटी' के साथ लोगों से संवाद किया और यह विश्वास भी जताया कि अगले साल फिर से वह लाल किला की प्राचीर से संबोधन करेंगे, उसने स्पष्ट कर दिया कि पीएम मोदी ही खेवनहार हैं। विपक्ष को मुकाबला करना है तो भाजपा या राजग से नहीं, बल्कि मोदी से मुकाबला करना होगा। यानी चाहे अनचाहे कोई चेहरा तो लाना ही होगा जिसपर जनता कुछ भरोसा कर सके। लगभग छह महीने पहले उन्होंने विपक्ष को चेतावनी के अंदाज में कहा था- 'एक अकेला सब पर भारी'।
पीएम मोदी ने गिनाईं सरकार की उपलब्धियां
कहा जाता है कि दूसरों में विश्वास वही भर सकता है जो खुद पर विश्वास कर सके। पीएम मोदी ने सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए, समाज में आ रहे बदलावों की चर्चा करते हुए चार दिनों में दूसरी बार दावा कर दिया है कि 2024 में फिर से वही आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के रूप में नहीं.. संवेदना से भरे परिवार के सदस्य के रूप में, परिवार के मुखिया के रूप में। पहले कार्यकाल में उन्होंने प्रधानमंत्री को प्रधान सेवक बताया था।
भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण का किया जिक्र
इस बार उन्होंने जनता की भावनाओं को और नजदीक से छुआ है और भरोसा दिया है कि वह परिवार के सदस्य के रूप में ही उन लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं। उनके लिए सपने देख रहे हैं, उनके लिए पसीना बहा रहे हैं। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को राजनीतिक मुद्दा माना जाता है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि उनके लिए यह राजनीतिक मुद्दा नहीं संकल्प है। यही वे मुद्दे हैं जो देश के आड़े आ रहे हैं। पिछड़े लोगों को आगे लाना है, देश को विकसित बनाना है तो इन्हें कुचलना ही होगा।
ईडी और सीबीआई कार्रवाई पर विपक्ष ने खड़े किए सवाल
गौरतलब है कि आइएनडीआइए गठबंधन की शुरूआत का मूल कारण था- ईडी और सीबीआई की विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई। विपक्षी दलों की ओर से इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया गया था। बुधवार को भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ऐसी कार्रवाई को विपक्षी नेताओं को डराने धमकाने की कार्रवाई बताया। लेकिन प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई रुकने वाली नहीं है। आरोपों से वह दबाव में नहीं आएंगे।
भ्रष्टाचार पर रहा पीएम मोदी का फोकस
विपक्षी दलों की ओर से विजय माल्या, ललित मोदी जैसे भगौड़ों की बात की जाती है, मोदी ने यह बता दिया कि भगौड़े ने जितने की चपत लगाई थी उससे 20 गुना ज्यादा वसूल लिया गया है। प्रधानमंत्री ने जनता को यह भी समझा दिया कि पिछले वर्षों में भ्रष्टाचार का दीमक आम जनों के अधिकारों को चबा रहा था। मोदी सरकार ने व्यवस्था से ऐसे 10 करोड़ लोगों को निकाल दिया, जिसके नाम पर योजनाओं के लाभ भ्रष्टाचारियों के पाकेट में जा रहे थे। परिवारवाद और तुष्टीकरण का आरोप किन दलों पर लगता रहा है यह सार्वजनिक है। ऐसे अधिकतर दल आइएनडीआइए गठबंधन में शामिल हैं। वस्तुत: पीएम मोदी ने देश को संबोधित करते हुए यह अपेक्षा भी जता दी है कि ये मुद्दे केवल उनके नहीं देश के मुद्दे हैं, जनता के मुद्दे हैं और जनता को इन विषयों पर गंभीरता से विचार करना ही होगा।