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फूड प्रोसेसिंग में नौ वर्षों में 50 हजार करोड़ का विदेशी निवेश, निर्यात में 150 फीसदी की वृद्धि- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को उभरता उद्योग बताया और कहा कि नौ वर्षों में इसमें 50 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ है जो उद्योग एवं कृषि नीतियों का परिणाम है। इस दौरान प्रसंस्कृत खाद्य के निर्यात में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पीएम मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली में तीन दिनों तक चलने वाले व‌र्ल्ड फूड इंडिया का उद्घाटन किया।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 03 Nov 2023 08:51 PM (IST)
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नौ वर्षों में कृषि निर्यात में भारत का सातवां स्थान (फोटो एक्स)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को उभरता उद्योग बताया और कहा कि नौ वर्षों में इसमें 50 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हुआ है, जो उद्योग एवं कृषि नीतियों का परिणाम है। इस दौरान प्रसंस्कृत खाद्य के निर्यात में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

पीएम मोदी ने शुक्रवार (3 नवंबर) को दिल्ली में तीन दिनों तक चलने वाले 'व‌र्ल्ड फूड इंडिया' का उद्घाटन किया। एक लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों को प्रारंभिक पूंजी के रूप में आर्थिक सहायता दी। कार्यक्रम में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस आयोजन का उद्देश्य भारत को 'दुनिया की खाद्य टोकरी' के रूप में प्रदर्शित करना है।

दूसरे देशों को हमारी खाद्य परंपराओं से सीखना है- पीएम

प्रधानमंत्री ने भारत की खान-पान की विविधता का जिक्र करते हुए कहा कि दूसरे देशों को भी हमारी खाद्य परंपराओं से सीखना है। हमारे पूर्वजों ने भोजन की आदतों को आयुर्वेद से जोड़ा था, जो हमारी वैज्ञानिक समझ को दर्शाता है। आयुर्वेद में कहा गया है 'ऋत-भुक' यानी मौसम के अनुसार भोजन, 'मित भुक' यानी संतुलित आहार और 'हित भुक' यानी स्वस्थ भोजन।

मोदी ने बाजरा को 'सुपरफूड बकेट' बताया

स्वस्थ भोजन के प्राचीन ज्ञान को समझने और लागू करने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने बाजरा को 'सुपरफूड बकेट' बताया और कहा कि देश में इसकी पहचान श्रीअन्न के रूप में की गई है। भले ही पुराने समय में बाजरा को प्राथमिकता दी जाती थी किंतु कुछ दशकों में इसे भोजन से बाहर कर दिया गया है। इससे स्वास्थ्य, खेती के साथ अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है।

श्रीअन्न की हिस्सेदारी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा

पीएम ने भोजन में श्रीअन्न की हिस्सेदारी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने के साथ ही सामूहिक प्रारूप तैयार करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने प्रौद्योगिकी एवं फूड स्ट्रीट की सराहना करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी और स्वाद का मिश्रण अर्थव्यवस्था का भविष्य तय करेगा। उन्होंने उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन योजना को नए उद्यमियों के लिए मददगार बताया और कहा कि फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे के लिए एग्री-इन्फ्रा फंड के तहत कई योजनाओं पर काम चल रहा है। मत्स्य पालन एवं पशुपालन क्षेत्र में भी निवेश को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

नौ वर्षों में कृषि निर्यात में भारत का सातवां स्थान

प्रधानमंत्री ने कहा कि नौ वर्षों में कृषि निर्यात में भारत का स्थान सातवां है। 50 हजार अमेरिकी डॉलर से अधिक का निर्यात होता है। खाद्य प्रसंस्करण में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां वृद्धि नहीं हुई है। भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 12 लाख टन से बढ़कर दो सौ लाख टन हो गई है। नौ वर्षों में 15 गुना वृद्धि है। इस उद्योग से जुड़ी हर कंपनी और स्टार्ट-अप के लिए स्वर्णिम दौर है। निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 13 से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है।

निर्यात होने वाले उत्पादों के नाम भी गिनाए

उन्होंने निर्यात होने वाले उत्पादों के नाम भी गिनाए, जैसे हिमाचल प्रदेश से काले लहसुन, जम्मू-कश्मीर से ड्रैगन फ्रूट, मध्य प्रदेश से सोया दूध पाउडर, लद्दाख से सेब, पंजाब से कैवेंडिश केले, जम्मू से गुच्ची मशरूम और कर्नाटक से कच्चा शहद शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को महिलाओं के लिए भी जरूरी बताया और कहा कि भारत में नौ करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। उनमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का नेतृत्व करने की नैसर्गिक क्षमता है। उनके लिए हर स्तर पर कुटीर उद्योगों और स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जा रहा है। कार्यक्रम में उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल के साथ खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पशुपति कुमार पारस, गिरिराज सिंह, पुरुषोत्तम रुपाला और प्रहलाद सिंह पटेल भी मौजूद थे।

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