PFI के खिलाफ देशभर में दर्ज हैं 1,300 केस, केंद्र ने एक दिन में नहीं किया फैसला, वर्षों से चल रही थी जांच
केंद्र सरकार ने पापुलर राष्ट्रविरोधी और असामाजिक गतिविधियों के आरोप में फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) को पांच वर्षों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। देश के विभिन्न राज्यों में पीएफआइ कार्यकर्ताओं और इससे जुड़े संगठनों के खिलाफ 1300 से अधिक केस दर्ज हैं।
नई दिल्ली, आइएएनएस। पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) को राष्ट्रविरोधी और असामाजिक गतिविधियों के आरोप में केंद्र सरकार ने पांच वर्षों के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। 2006 में गठित इस संगठन के नाम में 'पापुलर' शब्द जरूर है, लेकिन वास्तव में यह लोकप्रिय कहीं पर नहीं है। देश के विभिन्न राज्यों में पुलिस और एनआइए ने पीएफआइ कार्यकर्ताओं और इससे जुड़े संगठनों के खिलाफ 1,300 से अधिक मामले दर्ज किए हैं।बड़ा सवाल यह कि क्या सरकार ने जल्दबाजी में कदम उठाया है?
इक्का-दुक्का विरोध के स्वर
पीएफआइ पर प्रतिबंध के खिलाफ इक्का-दुक्का विरोध के स्वर भी उठे। एआइएमआइएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, यह ऐसे मुस्लिम संगठन पर प्रतिबंध है, जो अपने मन की बात कहता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार ने जल्दबाजी में कदम उठाया है?
कई वर्षों से चल रही थी जांच
एनआइए के एक अधिकारी ने बताया, पीएफआइ देश के सबसे कट्टर मुस्लिम संगठनों में एक है। बड़ी संख्या में इसके सदस्यों पर हिंसा, गैरकानूनी गतिविधियों और आतंकी घटनाओं में शामिल रहने के आरोप हैं। केंद्र सरकार ने एक दिन में फैसला नहीं किया है। कई वर्षों से इसके खिलाफ जांच चल रही थी।
पीएफआइ का एजेंडा बढ़ाएगी एसडीपीआइ
सरकार ने पीएफआइ पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद इसकी राजनीतिक शाखा एसडीपीआइ को छोड़ दिया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि पीएफआइ के एजेंडे को एसडीपीआइ आगे बढ़ाएगी। कर्नाटक में यह मुसलमानों के बीच तेजी से पैठ बनाने में सफल हुई है। हिंदूवादी संगठनों से कई बार इसका घातक टकराव हो चुका है।
पीएफआइ और संघ में तुलना नहीं
प्रोफेसर केरल के जिस प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ पीएफआइ कार्यकर्ताओं ने काट दिया था, उन्होंने कहा है कि आरएसएस से इसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है। इसे देश और इसकी संस्कृति से प्रेम है। पीएफआइ के बारे में सब जानते हैं कि इसने क्या किया है।