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वैष्णो देवी के मंदिर में आप भी फूल चढ़ाकर आते हैं, जानते हैं उनका क्या होता है?

मां वैष्णो देवी आधार शिविर कटड़ा के मंदिरों व शारदीय नवरात्र पर मां भगवती के भवन की सजावट में इस्तेमाल होने वाले टनों फूलों का इस काम में इस्तेमाल होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 11 Jan 2018 04:41 PM (IST)
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वैष्णो देवी के मंदिर में आप भी फूल चढ़ाकर आते हैं, जानते हैं उनका क्या होता है?

जम्मू [राहुल शर्मा]। माता वैष्णो देवी को अर्पित किए जाने वाले फूल अब दोबारा महकेंगे। साथ ही अनेक लोगों का जीवन भी महकाएंगे। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की पहल पर चढ़ावे के फूलों से सुगंधित अगरबत्ती व धूपबत्ती बनाने की परियोजना को अमली जामा पहनाया जा रहा है।

इस काम में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च, सीएसआइआर) और केंद्रीय औषधीय एवं सुगंध पौध संस्थान (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडीसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट, सीआइएमएपी, सीमैप) के अलावा राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड भी मदद कर रहा है। कटड़ा से सटे क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

एक पंथ-दो काज 

माता वैष्णो देवी आधार शिविर कटड़ा से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में अगरबत्ती व धूपबत्ती की खपत होती है। अब तक इन उत्पादों को बाहर से लाया जाता था। लेकिन अब इनका निर्माण स्थानीय स्तर पर होने लगेगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही चढ़ावे के फूलों का सदुपयोग हो सकेगा। बता दें कि श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा में फूल ले जाने की अनुमति नहीं है, लेकिन यहां नियमित होने वाली पूजा में फूल चढ़ाए जाते हैं। साथ ही पुरानी गुफा में प्रतिदिन फूलों से सजावट की जाती है। 

श्रद्धालु पुरानी गुफा तक पुष्प-माला, अगरबत्ती ले जा सकते हैं। जहां इन्हें एकत्र कर लिया जाता है। वहीं कटड़ा में बने मंदिर में भी श्रद्धालु इन्हें अर्पित करते हैं। पवित्र गुफा, पुरानी गुफा और कटड़ा के सभी मंदिरों से यहां प्रतिदिन बड़ी मात्रा में चढ़ावे के फूल इकट्ठे हो जाते हैं। जिनका अब तक समुचित प्रबंधन नहीं हो पा रहा था।

महकने लगे घर-परिवार 

परियोजना से जुड़ी वैज्ञानिक अनुराधा शर्मा ने बताया कि श्राइन बोर्ड से जुड़ी स्वयंसेवी संगठनों की महिला कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब धर्मार्थ ट्रस्ट में कार्यरत महिलाओं व फूल व्यवसाय से जुड़े किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पैंथल क्षेत्र की रहने वाली कांता देवी, तृप्ति देवी ने बताया कि अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण लेने के बाद अब वह अपने-अपने घर पर ही यह कार्य कर रही हैं। इससे उनके परिवार पर आर्थिक बोझ कम हो गया है। 

सुषमा और सृष्टि देवी का कहना है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को भी अगरबत्ती बनाना सिखा दिया है और अब वे भी यह काम करने लगे हैं। अवकाश के दिन बच्चे भी इसमें मदद करते हैं। कच्चा माल श्राइन बोर्ड उपलब्ध कराता है। जिसे अगरबत्तियों व धूपबत्तियों का रूप देकर और पैकिंग कर श्राइन बोर्ड को दे दिया जाता है। यह काम घर बैठे आमदनी का जरिया बन गया है। 

अन्य मंदिरों से भी एकत्र किए जाएंगे फूल

मां वैष्णो देवी आधार शिविर कटड़ा के मंदिरों व शारदीय नवरात्र पर मां भगवती के भवन की सजावट में इस्तेमाल होने वाले टनों फूलों का इस काम में इस्तेमाल होगा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वैज्ञानिक अनुराधा शर्मा ने कहा कि जल्द ही जम्मू शहर के दूसरे मंदिरों से भी चढ़ावे के फूलों को एकत्रित करने की व्यवस्था की जाएगी। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को इसका लाभ मिलेगा।

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