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Karnataka: हुबली के ईदगाह मैदान में आयोजित गणेश उत्‍सव में सावरकर की तस्‍वीर वाले बैनर हटाए गए

Karnataka हुबली में ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी के जश्‍न के दौरान मंच पर लगे वीर सावरकर और बाल गंगाधर तिलक की तस्‍वीरों को हटा दिया गया। बताया गया कि कार्यक्रम को मनाने की अनुमति जिन मानदंडों के आधार पर दी गई थी वह इसके खिलाफ था।

By Arijita SenEdited By: Updated: Thu, 01 Sep 2022 01:06 PM (IST)
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ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी के जश्‍न के दौरान सावरकर और बाल गंगाधर तिलक की तस्‍वीरें हटा दी गईं
हुबली (कर्नाटक), एजेंसी। कर्नाटक (Karnataka) के हुबली (Hubbali) में ईदगाह मैदान (Idgah ground Maidan) में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के जश्‍न के दौरान अधिकारियों ने बुधवार देर शाम को मंच पर लगे वीर सावरकर (Veer Savarkar) और बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) की तस्‍वीरों को हटा दिया। सावरकर की एक तस्‍वीर गणेश जी की प्रतिमा के बगल में रखी हुई थी और बाल गंगाधर तिलक की तस्‍वीर मंच पर लगे बैनर में छपी थी।

प्रह्लाद जोशी ने इस पर दिया बयान

अधिकारियों ने कहा कि इनकी तस्‍वीरों वाले बैनर इसलिए हटा दिए गए क्‍योंकि कार्यक्रम को मनाने की अनुमति जिन मानदंडों के आधार पर दी गई थी वह इसके खिलाफ था। हालांकि, ईदगाह मैदान में रानी चेन्नम्मा मैदान गजानन उत्सव महामंडल कार्यक्रम के मुख्य द्वार के बाहर वह बैनर लगाई गई थी जिसमें वीर सावरकर की तस्वीर थी। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी (Prahlad Joshi) ने बुधवार को कहा कि सावरकर की तस्वीर को बैकग्राउंड इमेज के तौर पर रखा गया था। जोशी ने कहा, 'आयोजकों का मानना है कि सावरकर एक महान देशभक्त हैं इसलिए उनकी तस्‍वीर लगाई गई थी। इसमें गलत क्या है।'

कड़ी सुरक्षा के बीच आयोजित गणेशोत्‍सव

उन्‍होंने ईदगाह मैदान में आयोजित गणेशोत्‍सव की महाआरती में शामिल होने के बाद मीडिया कर्मियों से बात की। उत्‍सव का आयोजन कड़ी सुरक्षा और भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच किया गया। इससे पहले कर्नाटक हाइकोर्ट ने हुबली के ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह को मनाने की मंजूरी दी थी।

इस दौरान, अंजुमन-ए-इस्लाम (Anjuman-E-Islam) द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट के दिए आदेश में कहा गया कि जमीन हुबली-धारवाड़ नगर निगम की संपत्ति है और जमीन का आवंटन जिसे चाहे उसे किया जा सकता है।

मैदान पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

हुबली में ईदगाह मैदान दशकों से साल 2010 तक एक विवाद में फंसा रहा। विवाद इसके मालिकाना हक को लेकर था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ये जमीन भले ही 999 सालों के लिए अंजुमन-ए-इस्लाम को लीज पर दी गई है, लेकिन इस पर मालिकाना हक अभी भी HDMC (हुबली-धारवाड़ नगर निगम) के पास है।