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PM Vishwakarma Yojana: प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में राज्यों से तालमेल की चुनौती, OBC वर्ग पर है खास फोकस

हाल ही में विश्वकर्मा जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम विश्वकर्मा योजना की घोषणा की। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की संयुक्त भूमिका वाली इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने आगामी पांच वित्तीय वर्षों के लिए 13000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Sun, 15 Oct 2023 09:23 PM (IST)
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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना में राज्यों से तालमेल की चुनौती (Image: Jagran Graphic)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास योजना हो, शौचालय निर्माण हो या हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना, भाजपा के मंचों से अक्सर यह आरोप सुनाई देता है कि गैर भाजपा शासित राज्यों की सरकारें योजना को गंभीरता से नहीं लेतीं या रोड़े अटकाती हैं।

मनरेगा को लेकर भी इन दिनों केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार में रार छिड़ी हुई है। ऐसे में हाल में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लिए भी राज्यों से तालमेल की चुनौती बढ़ने की आशंका है। बड़ी वजह चुनावी वर्ष और योजना के केंद्र में अन्य पिछड़ा वर्ग का प्रमुख रूप से होना भी है।

पीएम विश्वकर्मा योजना

हाल ही में विश्वकर्मा जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम विश्वकर्मा योजना की घोषणा की। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय की संयुक्त भूमिका वाली इस योजना के लिए केंद्र सरकार ने आगामी पांच वित्तीय वर्षों के लिए 13000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।

इसके तहत 18 पारंपरिक पेशों से जुड़े कारीगरों का चयन कर पांच से सात दिन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के दौरान पांच सौ रुपये प्रतिदिन भत्ता, प्रशिक्षण के बाद टूलकिट की खरीद के लिए पंद्रह हजार रुपये और पांच प्रतिशत की ब्याज दर पर दो किश्तों में तीन लाख रुपये का गारंटी मुक्त ऋण दिया जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्र सरकार का जोर

भाजपा सरकार की इस योजना को लोकसभा चुनाव के लिहाज से बड़ा राजनीतिक दांव भी माना जा रहा है, क्योंकि 18 पेशेवर कारीगरों में अधिकतर अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं। ऐसे में गैर भाजपा शासित सरकारों की ओर से भी राजनीतिक दांव-पेंच की भी आशंका खड़ी होती नजर आ रही है। दरअसल, इस योजना में लाभार्थी चयन की प्रक्रिया में राज्यों की ही प्रमुख भूमिका है। पात्र लाभार्थियों का सत्यापन ग्राम प्रधान, स्थानीय शहरी निकाय के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी, जिला कार्यान्वयन समिति द्वारा किया जाना है। केंद्र सरकार का जोर ग्रामीण क्षेत्रों पर ही अधिक है।

सरकार का ये हैं लक्ष्य

सरकार का लक्ष्य कुल तीस लाख परिवारों को पांच वर्ष में लाभ पहुंचाने का है और पहले वर्ष के लिए पांच लाख लाभार्थियों का लक्ष्य है। ऐसे में राज्य सरकार के माध्यम से स्थानीय निकायों का सहयोग बहुत आवश्यक है। इसे देखते हुए हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव डा. विवेक जोशी ने राज्यों के संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक कर त्वरित सत्यापन करते हुए योजना में गति लाने की अपेक्षा भी की है।

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ढाई लाख कारीगर करा चुके पंजीयन

सूत्रों के अनुसार, योजना के प्रति जनता में आकर्षण है, ढाई लाख कारीगर पंजीयन भी करा चुके हैं, लेकिन सत्यापन स्थानीय स्तर पर होने के बाद ही प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। योजना में शामिल 18 पारंपरिक पेशे- सुधार/बढ़ई, नाव निर्माता, अस्त्रकार, लोहार, हथौड़ा और टूलकिट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार-पत्थर तराशने वाला, चर्मकार/मोची, राजमिस्त्री, चटाई व झाड़ू बनाने वाला, गुडि़या और खिलौने बनाने वाला, नाई, मालाकार, धोबी, दर्जी और मछली का जाल बनाने वाला।

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