Move to Jagran APP

पिता ने सोनिया से कहा था, कमजोर सरकार चलाने से बेहतर है विपक्ष में बैठना- प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिठा मुखर्जी ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान मेरे पिता ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा था कि एक कमजोर सरकार चलाने के बजाय विपक्ष में बैठना ज्यादा बेहतर है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन शर्मिष्ठा ने पिता से जुड़े संस्मरण को याद करते हुए कहा कि वे जीवन के अंतिम दिनों में कांग्रेस के हालात से परेशान थे।

By Jagran News Edited By: Abhinav AtreyUpdated: Tue, 06 Feb 2024 12:03 AM (IST)
Hero Image
मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे- शर्मिठा मुखर्जी (फोटो, एक्स)
जागरण संवाददाता, जयपुर। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिठा मुखर्जी ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान मेरे पिता ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा था कि एक कमजोर सरकार चलाने के बजाय विपक्ष में बैठना ज्यादा बेहतर है।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) के पांचवें और अंतिम दिन शर्मिष्ठा ने पिता से जुड़े संस्मरण को याद करते हुए कहा कि वे जीवन के अंतिम दिनों में कांग्रेस के हालात से परेशान थे। यदि दुनिया में होते तो पार्टी के वर्तमान हालत से और परेशान होते। कांग्रेस की स्थिति है, उससे मैं भी परेशान हूं।

गैर गांधी को मौका मिलना चाहिए- शर्मिष्ठा

उनसे पूछा गया कि क्या कांग्रेस के बेहतर भविष्य के लिए किसी गैर गांधी को मौका मिलना चाहिए तो शर्मिष्ठा ने कहा-हां, ऐसा होना चाहिए। शर्मिष्ठा ने कहा कि मेरी भाजपा में शामिल होने की बात अफवाह है। मैं पक्की कांग्रेसी हूं और कहीं नहीं जा रही हूं। यहां एक सत्र में उन्होंने प्रणब मुखर्जी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व मनमोहन सिंह के संबंधों को लेकर खुलकर बात की।

मनमोहन ने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाया

शर्मिष्ठा ने कहा कि मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में अहम योगदान किया है। उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। मेरे पिता उनका काफी सम्मान करते थे। जब मनमोहन पीएम बन गए तब भी पिता को सर कहकर ही संबोधित करते थे। इस पर मेरे पिता ने कई बार आपत्ति भी जताई थी।

मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे

दोनों-एक-दूसरे का सम्मान करते थे। मेरे पिता इंदिरा गांधी के अंधभक्त थे, क्योंकि वह उनकी मेंटर थीं। उनकी वजह से ही वह सबकुछ बने थे। वह क्या कपड़े पहनेंगे, इस पर भी वह इंदिरा से पूछते थे।

ये भी पढ़ें: 'जहां कोई नहीं जाना चाहता, वहां करें सेवा', एम्स जोधपुर के दीक्षांत समारोह में मनसुख मांडविया ने डॉक्टरों से की अपील