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प्रणब दा के बारे में जानें, कैसे अपनी प्रतिभा के बल पर बंगाल की बीरभूम से राष्ट्रपति तक पहुंचे

Pranab Mukherjee Death News प्रणब दा का जाना भारतीय राजनीति रिक्तता का इतना बड़ा शून्य छोड़ गया जो शायद ही कभी छोटा हो पाए।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Mon, 31 Aug 2020 06:38 PM (IST)
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प्रणब दा के बारे में जानें, कैसे अपनी प्रतिभा के बल पर बंगाल की बीरभूम से राष्ट्रपति तक पहुंचे

 नई दिल्ली, जेएनएन।  सक्रिय राजनीति को चार दशक से भी ज्यादा दे चुके प्रणब मुखर्जी को उनके तेज दिमाग और शानदार याददाश्त की वजह से कांग्रेस का करिश्माई चाणक्य माना जाता रहा है। 84 वर्षीय मुखर्जी को चलती-फिरती एनसाइक्लोपीडिया, कांग्रेस का इतिहासकार, संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ और संसद के कायदे-कानूनों का पालन करने वाले नेता के तौर पर जाना गया। वे भारत के पहले ऐसे राष्ट्रपति रहे, जिसके पास सक्रिय राजनीति का लंबा अनुभव था। ऐसे में प्रणब दा का जाना भारतीय राजनीति रिक्तता का इतना बड़ा शून्य छोड़ गया जो शायद ही कभी छोटा हो पाए।

पोल्टू से प्रथम नागरिक तक

11 दिसंबर, 1935: बीरभूम के मिराती में जन्म

13 जुलाई, 1957: सुभ्रा मुखर्जी से शादी।परिवार में दो पुत्र एवं एक पुत्री। बड़ा बेटा अभिजीत कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं। छोटे बेटे का नाम इंद्रजीत है। बेटी शर्मिष्टा कत्थक नृत्यांगना है।

शिक्षा : एमए (इतिहास), एमए (राजनीतिविज्ञान), एलएलबी

जुलाई, 1969: पहली बार राज्यसभा सांसद बने।

जनवरी, 1973: इंदिरा गांधी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। 39 साल की उम्र में पहली बार मंत्री बने।

जनवरी, 1978: कांग्रेस की सर्वोच्च कार्यकारी बॉडी कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य बने। उसी साल आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष बने।

1980: राज्यसभा में सदन के नेता बने।

जनवरी, 1982: केंद्रीय वित्त मंत्री बने। इसके साथ ही वाणिज्य मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी मिला।

1986: राजीव गांधी से मतभेद के चलते कांग्रेस से निकाले गए।

1988: कांग्रेस में वापसी।

1991: योजना आयोग के उपाध्यक्ष बने।

1995: विदेश मंत्री बने।

2004: जीवन में पहली बार लोकसभा चुनाव जीता। लोक सभा में सदन के नेता बनने के साथ रक्षा मंत्री बने।

जनवरी, 2009: 25 साल बाद नॉर्थ ब्लॉक लौटे और वित्त मंत्री बने।

जुलाई, 2009: चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश करने वाले पहले वित्त मंत्री बने। चुनाव के बाद सरकार का पहला बजट भी पेश किया।

जून, 2012: संप्रग ने राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी घोषित किया

जुलाई, 2012: राष्ट्रपति चुनाव में विजयी घोषित

जुलाई, 2017: कार्यकाल पूरा होने के बाद स्वास्थ्य कारणों से पुन: राष्ट्रपति पद की दावेदारी नहीं पेश की।

जून 2018: देश के पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति बने जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के किसी कार्यक्रम को संबोधित किया।

अप्रैल 2019: प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया