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Pravasi Bharatiya Divas: प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें कैसे देश को प्रवासियों से होता फायदा

Pravasi Bharatiya Divas Sammelan 2023 प्रवासी भारतीय दिवस आज है और केंद्र सरकार इस बार एमपी सरकार के साथ मिलकर इंदौर में 17वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है। आइए जानें आखिर प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है।

By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Mon, 09 Jan 2023 04:30 PM (IST)
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Pravasi Bharatiya Divas Sammelan 2023 प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है, जानें।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Pravasi Bharatiya Divas Sammelan 2023 प्रवासी भारतीय दिवस आज यानी 9 जनवरी को हर साल मनाया जाता है। केंद्र सरकार इस बार मध्यप्रदेश सरकार के साथ मिलकर इंदौर में 8 जनवरी से तीन दिवसीय 17वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है। इस बार इसके सम्मेलन में 500 से ज्यादा प्रवासी भारतीयों ने हिस्सा लिया, जिसको पीएम मोदी ने संबोधित भी किया। इस बीच सभी के दिमाग में यह बात आ रही है कि आखिर प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है और ये लोग देश के लिए इतने अहम क्यों है।

सबसे पहले जानें- कौन हैं प्रवासी भारतीय

प्रवासी भारतीय उन लोगों को कहा जाता है जो भारत छोड़ कर दूसरे देशों में रह रहे है। विदेश मंत्रायल के अनुसार प्रवासी भारतीय को तीन भागों में बांटा गया है-

1- NRI (नॉन रेजिडेंट इंडियन): ऐसे भारतीय जो रोजगार या शिक्षा के लिए दूसरे देशों में जाते हैं और बाद में वहीं बस जाते हैं उसे एनआरआई कहा जाता है।

2- PIO (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन): इनमें वो लोग शामिल हैं जो या तो भारत में पैदा हुए हो या उनका परिवार का नाता भारत से हो।

3- OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया): 26 जनवरी 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक रहे लोग जो अब विदेश में बस गए हैं उन्हें इस कैटेगरी में डाला जाता है।

Pravasi Bharatiya Divas क्यों मनाया जाता है 

प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के पीछे की कहानी महात्मा गांधी के 1915 में भारत आने से जुड़ी है। इस साल गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की। इस दिन को मनाने के पीछे स्वर्गीय लक्ष्मीमल सिंघवी का दिमाग था। उन्होंने प्रवासी भारतीयों पर दी एक रिपोर्ट में कहा था कि ये लोग भारत के लिए कितने अहम हैं। विदेश मंत्रालय ने इसके बाद 2003 से हर साल 7 से 9 जनवरी को इस दिवस को मनाने का ऐलान किया। हालांकि, 2015 में इसे बदलकर हर दो साल में मनाने का फैसला किया गया।

प्रवासी भारतीय दिवस का ये है महत्व

प्रवासी भारतीयों की देश को फायदा पहुंचाने में अहम भूमिका मानी जाती है। विदेशों में बसे ये भारतीय देश का नाम रोशन तो करते ही हैं, साथ ही वे कभी भी देश की मदद करने से पीछे नहीं हटते हैं। भारत में विदेशी मुद्रा आने का सबसे बड़ा स्त्रोत भी यहीं प्रवासी हैं। देश में विदेशी मुद्रा भेजने के मामले में भारतीय सबसे अव्वल हैं, इसके बाद मैक्सिको और फिर चीन के लोगों का नंबर आता है। बीते साल भारतीय प्रवासियों ने देश में 100 अरब डालर भेजे थे। आज के दिवस पर समारोह आयोजित करने के पीछे की वजय भी यही है, ताकि इन लोगों के योगदान की सराहना की जा सके।

100 से ज्यादा देशों में बसे हैं प्रवासी भारतीय

दुनियाभर में 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय रहते हैं, ये 100 से ज्यादा देशों में बसे हैं। सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीय अमेरिका में रहते हैं, उसके बाद यूएई, मलेशिया, साउदी अरब, म्यांमार, ब्रिटेन और फिर कनाडा का नंबर आता है। अलग-अलग देशों में बसे ये भारतीय प्रवासी देश का नाम रोशन कर रहे हैं। माना जाता है कि विदेशों में ये प्रवासी भारतीय उनकी आर्थिक व राजनीतिक स्थिति तय करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।

कोई बड़ी कंपनी का CEO तो कोई बना देश का PM

विश्व की 500 बड़ी कंपनियों के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) भारतीय मूल के ही हैं।  बता दें कि कुछ तो इनमें से देश के प्रधानमंत्री तक बन गए हैं। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और हाल ही में ब्रिटेन के पीएम बने ऋषि सुनक भारतीय मूल के ही हैं। गूगल के CEO सुंदर पिचाई, एडोब के सीइओ शांतनु नारायण, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला, आईबीएम के अरविंद कृष्णा और मास्टरकार्ड के सीइओ अजयपाल सिंह भी भारतीय मूल के हैं। यहां तक की ट्विटर से हाल ही में हटाए गए सीईओ पारस अग्रवाल भी भारतीय मूल के थे।