मुंबई में होने जा रहा क्रेता-विक्रेता सम्मेलन, केले और अनार जैसे आइटम से कृषि निर्यात बढ़ाने की तैयारी
अनार और आम को समुद्र के रास्ते निर्यात करने का पायलट प्रोजेक्ट किया जा रहा है। एपीडा ने कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए आलू अंगूर केला विभिन्न हरी सब्जी समेत 20 आइटम को फोकस उत्पाद की सूची में शामिल किया है। इनके निर्यात को बढ़ाने की विशेष तैयारी चल रही है। उन्होंने बताया कि भारत केला का सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वाणिज्य मंत्रालय के अधीन काम करने वाला कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण (एपीडा) चावल, गेहूं, प्याज जैसे आइटम की जगह केला, अनार, आलू, आम व अन्य फल-सब्जी से कृषि निर्यात में बढ़ोतरी की तैयारी कर रहा है। केले की वैश्विक बिक्री बढ़ाने के लिए पहली बार मुंबई में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन होने जा रहा है।
अनार और आम को समुद्र के रास्ते निर्यात करने का पायलट प्रोजेक्ट किया जा रहा है। एपीडा ने कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए आलू, अंगूर, केला, विभिन्न हरी सब्जी समेत 20 आइटम को फोकस उत्पाद की सूची में शामिल किया है। इनके निर्यात को बढ़ाने की विशेष तैयारी चल रही है।
प्याज का निर्यात बढ़ते ही उसके दाम बढ़ने लगते हैं
एपीडा के चेयरमैन अभिषेक देव ने बताया कि गेहूं-चावल व प्याज जैसे आइटम की घरेलू स्तर पर खपत अधिक है। प्याज को इसलिए निर्यात के फोकस उत्पाद में नहीं रखा गया है क्योंकि प्याज का निर्यात बढ़ते ही उसके दाम बढ़ने लगते हैं।भारत केला का सबसे बड़ा उत्पादक देश
उन्होंने बताया कि भारत केला का सबसे बड़ा उत्पादक देश हैं, लेकिन केले के 16 अरब डॉलर के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी एक प्रतिशत है जबकि केले के वैश्विक उत्पादन में 30 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। अगले दो-तीन सालों में केले के निर्यात को एक अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है। रूस में भारतीय केले की काफी अधिक मांग निकल रही है।
देव ने बताया कि कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए जैविक खेती के तरीके में भी पारदर्शिता लाई जा रही है और जल्द ही एपीडा जैविक खेती करने वाले तमाम किसानों की सूची को सार्वजनिक करने जा रहा है। जैविक उत्पादों का मुख्य बाजार यूरोपीय संघ और अमेरिका है। इसलिए इन देशों से जैविक खेती के सर्टिफिकेशन पर भी काम हो रहा है ताकि ये देश भारतीय जैविक उत्पादों को खारिज नहीं करे।
जल्द ही चीन में निर्यात होने लगेगा
भारतीय अल्कोहल पेयपदार्थदेव ने बताया कि भारतीय अल्कोहल पेयपदार्थ के निर्यात बढ़ाने की काफी अधिक गुंजाइश है और इस दिशा में ब्रिटेन और चीन के बाजार में अल्कोहल पेयपदार्थ को भेजने की तैयारी चल रही है। दोनों ही देश भारतीय अल्कोहल पेय पदार्थ की खरीदारी को लेकर उत्सुक है। अभी मध्य पूर्व और अफ्रीका के कुछ देशों में अल्कोहल वाले पेय पदार्थों (विहस्की) का निर्यात होता है।अल्कोहल पेयपदार्थ का निर्यात एक अरब डॉलर से भी कम है। ब्रियूर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महा निदेशक विनोद गिरी ने बताया कि बीते कुछ सालों में भारत के कई अल्कोहल पेय पदार्थों के ब्रांड की वैश्विक पहचान बनी है और अब भारतीय विहस्की के साथ वाइन व बियर का भी निर्यात बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।