ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल की तैयारी शुरू, पायलट प्रोजेक्ट के लिए एमएनआरई देगा 496 करोड़
Hydrogen Fuel पायलट प्रोजेक्ट के लिए एनएनआरई वित्त वर्ष 2025-26 तक की अवधि में 496 करोड़ रुपए की सहायता देगा। ताकि पायलट प्रोजेक्ट के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को लेकर पूरा माहौल तैयार किया जा सके। ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए बस व ट्रक के इंजन व फ्यूल सिस्टम में बदलाव करना होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्टील सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल के बाद सरकार अब ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल शुरू करने जा रही है। बस, ट्रक जैसे भारी वाहनों के साथ कार में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी है। नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हाल ही में इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है।
पायलट प्रोजेक्ट के लिए एनएनआरई वित्त वर्ष 2025-26 तक की अवधि में 496 करोड़ रुपए की सहायता देगा। ताकि पायलट प्रोजेक्ट के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के साथ ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल को लेकर पूरा माहौल तैयार किया जा सके। ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए बस व ट्रक के इंजन व फ्यूल सिस्टम में बदलाव करना होगा।
इस काम पर होने वाले खर्च में आवंटित फंड से मदद दी जाएगी। वैसे ही, ग्रीन हाइड्रोजन भरवाने के लिए स्टेशन भी खोलने होंगे। सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। भारत को ग्रीन हाइड्रोजन का वैश्विक हब बनाने के उद्देश्य से सरकार ने पिछले साल 19,744 करोड़ रुपए का आवंटन किया था।एमएनआरई के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के अमल की जिम्मेदारी सड़क परिवहन व हाईवे मंत्रालय की होगी।
यह मंत्रालय स्कीम इंपिलिमेंटिंग एजेंसी (एसआईए) नियुक्त करेगा। लेकिन प्रोजेक्ट की निगरानी की मुख्य जिम्मेदारी एमएनआरई की होगी।एमएनआरई के मुताबिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल के लिए कुछ खास हाईवे को हाइड्रोजन हाईवे के रूप में विकसित किया जा सकता है जिनके आसपास ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्लांट लगाए जा सकते है और उन हाईवे पर हाइड्रोजन भरने की स्टेशन भी खोले जाएंगे।
पायलट प्रोजेक्ट से इंटर-सिटी बस व ट्रक ऑपरेटर्स को पता चल सकेगा कि ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल से कितना फायदा है और इससे ग्रीन हाइड्रोजन आधारित परिवहन प्रणाली विकसित करने में मदद मिलेगी। बस व ट्रक में ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल शुरू होने से कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कमी आएगी। एमएनआरई के मुताबिक जल्द ही शिपिंग व खाद निर्माण में में भी ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल शुरू हो सकता है। मंत्रालय चाहता है कि भारत में समुद्र किनारे ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन केंद्र हो ताकि अन्य देशों के जहाज को भारत ग्रीन हाइड्रोजन की सप्लाई दे सके। ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए 10 कंपनियों का चयन भी कर लिया गया है।