'आपातकाल पर गठित शाह समिति की रिपोर्ट को संसद में पेश करें', सभापति जगदीप धनखड़ ने सरकार को दिया निर्देश
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को सरकार से आपातकाल की ज्यादतियों पर तैयार की गई शाह आयोग की रिपोर्ट को सदन पर रखने की संभावना तलाशने को कहा। धनखड़ ने कहा कि शाह आयोग ने लोकतंत्र के सबसे काले दौर की जांच की थी। शाह आयोग की रिपोर्ट 1975 में देश में लागू किए गए आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों से संबंधित है।
पीटीआई, नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सरकार से आपातकाल की ज्यादतियों पर तैयार की गई शाह आयोग की रिपोर्ट को सदन पर रखने की संभावना तलाशने को कहा। उन्होंने कहा कि साल 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में सरकार बनी तो शाह आयोग की रिपोर्ट को नष्ट कर दिया गया। लेकिन शाह आयोग की रिपोर्ट की एक प्रति आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय पुस्तकालय में उपलब्ध है।
धनखड़ ने सरकार से संज्ञान लेने को कहा
धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि शाह आयोग ने लोकतंत्र के सबसे काले दौर की जांच की थी। शाह आयोग की रिपोर्ट 1975 में देश में लागू किए गए आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों से संबंधित है। उप राष्ट्रपति धनखड़ ने झारखंड से भाजपा सांसद दीपक प्रकाश के इस मुद्दे को उठाने को लेकर सरकार को मामले का संज्ञान लेने को कहा।
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट से सदन के सदस्यों और जनता को बढ़े स्तर पर लाभ होगा। दरअसल राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान झारखंड से भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने शाह आयोग की रिपोर्ट का मामला उठाया था। इस पर सभापति धनखड़ ने भी समर्थन दिया और कहा कि 'सरकार को (शाह आयोग की) प्रामाणिक रिपोर्ट हासिल करने और सांसदों और आम जनता के फायदे के लिए शाह आयोग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने की संभावना तलाशनी चाहिए।'
आयोग ने 100 बैठकें और 48 हजार कागजात की जांच की
इससे पहले भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा कि साल 1977 में गठित शाह आयोग की 100 बैठकें हुईं और 48 हजार दस्तावेजों का मूल्यांकन किया गया था। 6 अगस्त 1978 को अंतिम रिपोर्ट पेश की गई। यह रिपोर्ट तीन खंडों में प्रकाशित हुई। लेकिन वर्ष 1980 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में फिर सरकार बनी और उस रिपोर्ट को नष्ट कर दिया गया। लेकिन शाह आयोग की रिपोर्ट की एक कापी अभी भी आस्ट्रेलिया की नेशनल लाइब्रेरी में उपलब्ध है। यही रिपोर्ट आपातकाल के असल तथ्यों को उजागर करेगी।