पाकिस्तान से टॉस जीतकर भारत को मिली थी बग्गी, अब 40 साल बाद राष्ट्रपति मुर्मु उसमें सवार होकर पहुंचीं कर्तव्य पथ
इस बार गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बग्गी की सवारी की। उन्होंने जिस बग्गी की सवारी की है उसका इस्तेमाल 40 साल पहले 1984 में बंद हो गया था। भारत ने इस बग्गी को पाकिस्तान से टॉस जीतकर हासिल किया था। तब से इसका इस्तेमाल राष्ट्रपति करते थे लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से इसका उपयोग बंद हो गया था।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में बेहद खास रहा। खास होने की सबसे बड़ी वजह ये रही कि 40 साल बाद किसी राष्ट्रपति ने कर्तव्य पथ पर बग्गी का उपयोग किया। 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पारंपरिक 'घोड़ा-बग्गी' से कर्तव्य पथ पर पहुंचीं। उनके साथ मुख्य अतिथि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी बग्गी में सवार थे।
40 साल बाद बग्गी में सवार हुईं राष्ट्रपति
वर्ष 1950 में पहले गणतंत्र दिवस समारोह से ही इस बग्गी का इस्तेमाल होता रहा है। उस वक्त देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने इसकी सवारी की थी। बग्गी की सवारी की परंपरा 1984 तक चलती रही, लेकिन इसके बाद इसका उपयोग बंद कर दिया गया।
क्यों बंद हो गई थी बग्गी की सवारी?
गणतंत्र दिवस समारोह में 1984 तक बग्गी का इस्तेमाल होता था, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई और बग्गी की जगह हाई सिक्योरिटी वाली कार उपयोग में आ गई। यह फैसला सुरक्षा कारणों से लिया गया था।
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टॉस जीतकर भारत को मिली थी बग्गी?
दरअसल, राष्ट्रपति ने जिस बग्गी की सवारी की है, उसकी कहानी काफी दिलचस्प है। जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और बग्गी को बांटने की बारी आई, तो इसके लिए दोनों देशों के बीच टॉस किया गया और भारत ने टॉस जीता था, जिसके बाद ये बग्गी भारत को मिली थी।