प्रतिष्ठित पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' ने कहा- भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर खर्च अमेरिका से दोगुना
मोदी सरकार ने रेलवे के ढांचागत विस्तार के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जो वित्त वर्ष 2013-14 में आवंटित राशि का नौ गुना है। इसके अलावा सड़कों के लिए आवंटन 36 प्रतिशत बढ़ाकर 2.7 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 21 Mar 2023 10:12 PM (IST)
नई दिल्ली, पीटीआइ। अगले वर्ष के बजट में भारत ने परिवहन से जुड़ी ढांचागत सुविधाओं पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.7 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य रखा है। यह आंकड़ा अमेरिका और अधिकांश यूरोपीय देशों की तुलना में करीब दोगुना है।
खास बात यह है कि प्रतिष्ठित पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' ने भी सरकार के इस लक्ष्य की तारीफ करते हुए कहा कि इससे भारत को पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना आसान होगा।
फिलहाल भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 3.5 लाख करोड़ डॉलर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई वाली सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ढांचागत क्षेत्र के लिए पूंजीगत आवंटन बढ़ाकर 122 अरब डॉलर कर दिया है। इससे वैश्विक मंदी के बीच आर्थिक गतिविधियों को मजबूती मिलने के साथ रोजगार सृजन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
सरकार ने सड़कों के लिए आवंटन बढ़ाया
मोदी सरकार ने रेलवे के ढांचागत विस्तार के लिए 2.4 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो वित्त वर्ष 2013-14 में आवंटित राशि का नौ गुना है। इसके अलावा सड़कों के लिए आवंटन 36 प्रतिशत बढ़ाकर 2.7 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है।
साथ में हवाई अड्डों, हेलिपोर्ट, उन्नत लैंडिंग ग्राउंड के विकास पर भी व्यय किया जाएगा। सरकार ने बंदरगाहों, कोयला, इस्पात, उर्वरक एवं खाद्यान्न क्षेत्रों के लिए अंतिम मुकाम तक पहुंच मुहैया कराने के लिए 100 महत्वपूर्ण परिवहन ढांचागत परियोजनाएं चिह्नित की हैं।
पत्रिका ने मोदी सरकार के कामों की तारीफ की
'द इकोनमिस्ट' ने कहा है कि अगर ढांचागत क्षेत्र अपने-आप में एक मंत्रालय होता तो उसके लिए किया गया आवंटन वित्त एवं रक्षा मंत्रालयों के बाद तीसरे स्थान पर होता। पत्रिका में ढांचागत विस्तार पर सरकारी व्यय बढ़ाने के साथ ही बड़ी तेजी से लागू किए जा रहे प्रशासनिक सुधारों का भी उल्लेख किया गया है।
पत्रिका ने कहा, 'नए परिवहन ढांचे की बदलावकारी ताकत को लेकर प्रधानमंत्री का भरोसा अच्छी तरह सोचा-समझा हुआ है। यह उस उच्च वृद्धि की पूर्व-शर्त है जिसकी आकांक्षा भारत ने संजोई हुई है।'