Talaq-e-Hasan: सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, तलाक-ए-हसन तीन तलाक जैसा नहीं; जानें- क्या है मामला
Talaq-e Hasan मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया देखा जाए तो यह इतना अनुचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में गाजियाबाद की एक महिला ने तलाक-ए हसन के खिलाफ अपील दायर की है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 07:20 PM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। तीन तलाक के बाद तलाक-ए-हसन अब चर्चा में है। इसे भी असंवैधानिक घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली नजर में उसे तलाक-ए-हसन अनुचित नहीं लग रहा है। यह तीन तलाक जैसा नहीं है। मुस्लिम महिलाओं के पास भी 'खुला' तलाक का विकल्प है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएन सुंद्रेश की पीठ ने कहा कि अगर पति और पत्नी एक साथ नहीं रह सकते, तो संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत भी तलाक ले सकते हैं।
याचिका में तलाक-ए-हसन के साथ ही न्यायिक प्रक्रिया से इतर एकतरफा तरीके से शादी तोड़ने के सभी तरीकों को मनमाना, तर्कहीन और मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए उन्हें असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। पीठ ने कहा कि वह पहली नजर में याचिकाकर्ताओं से सहमत नहीं है। वह नहीं चाहती कि यह किसी अन्य कारण से एजेंडा बने। पीठ ने यह भी कहा, 'यह तीन तलाक जैसा नहीं है। विवाह संविदात्मक प्रकृति के होने के कारण आपके पास भी खुला का विकल्प है। अगर दो लोग एक साथ नहीं सकते हैं, तो हम भी विवाह में गंभीर समस्या के आधार पर तलाक मंजूर कर रहे हैं। क्या आप आपसी सहमति से तलाक के लिए तैयार हैं, अगर मेहर (दूल्हे से दुल्हन को नकद या वस्तु के रूप में मिला उपहार) का ध्यान रखा जाता है?
याचिकाकर्ताओं में गाजियाबाद की हीना भी शामिल
गाजियाबाद की रहने वाली याचिकाकर्ता बेनजीर हीना की तरफ से पेश वकील पिंकी आनंद ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया है, लेकिन तलाक-ए-हसन के मामले पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। हीना ने खुद को तलाक-ए-हसन का शिकार बताया है और अदालत से केंद्र को सभी नागरिकों के लिए तलाक के लिए एक समान दिशानिर्देश तय करने का निर्देश देने की मांग की है।तलाक-ए-हसन क्या है ?
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अनुसार तलाक-ए-हसन में पति अपनी पत्नी को एक-एक महीने के अंतराल पर तीन बार तलाक देता है। इस दौरान वे साथ रहते हैं और सुलह की कोशिश करते हैं। अगर उनका रिश्ता नहीं बनता है तो तीसरे महीने में तीसरी बार तलाक बोलने के साथ ही उनका रिश्ता खत्म हो जाता है और उनमें तलाक हो जाता है। 'खुला' तलाक क्या है ?इसमें शहर काजी के जरिये मुस्लिम महिला अपने पति से तलाक ले सकती है। अगर महिला को उसका पति मांगने पर भी तलाक नहीं देता है तो वह शहर काजी के पास जा सकती है। शहर काजी दोनों की बातें सुनने के बाद उनके तलाक का एलान कर सकता है और उसके साथ ही उनका तलाक हो जाता है।