Reservation: जितनी आबादी उतना आरक्षण, राज्यसभा में पिछड़ी जातियों के लिए निजी विधेयक पेश
आबादी के हिसाब से आरक्षण देने की मांग उठी है। शुक्रवार को इस संबंध में एक निजी विधेयक भी राज्यसभा में पेश किया गया। हालांकि भारी हंगामे की वजह से इस पर चर्चा अधूरी रही। सदन को एक घंटे तक स्थगित कर दिया गया था। मगर शाम चार बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा। सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली ने यह निजी विधेयक पेश किया।
भाषा, नई दिल्ली। पिछड़ी जातियों को आबादी के अनुपात में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग उठी है। शुक्रवार को राज्यसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) के राज्यसभा सांसद जावेद अली ने एक निजी विधेयक पेश किया। सपा सांसद का कहना है कि आबादी के मुताबिक आरक्षण मिलना चाहिए।
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जावेद अली ने कहा कि 26 जुलाई का दिन आरक्षण के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इसी दिन छत्रपति शाहूजी महाराज ने अपने राज्य में पिछड़े वर्गों को आरक्षण प्रदान किया था। अली ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-16 में उन पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जिनका सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व नहीं है।
जावेद अली ने सामने रखे आंकड़े
जावेद अली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसद तय की है। मगर कई राज्यों की मंशा इस सीमा से अधिक आरक्षण मुहैया कराने की है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में कुल 69 प्रतिशत आरक्षण है। केंद्र सरकार की ए, बी, सी और डी ग्रुप की नौकरियों में पिछड़े वर्गों के कर्मियों की संख्या 27 प्रतिशत से भी कम है।सरकार ने नहीं चलाया कोई अभियान
सपा सांसद ने भाजपा सरकार पर हमला बोला और कहा कि पिछले 10 साल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी श्रेणियों में खाली पदों को भरने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं चलाया।