शहरी विकास के प्रोजेक्टों में निजी क्षेत्र का बढ़ रहा भरोसा, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 180 परियोजनाएं पूरी
मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पीपीपी यानी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली 180 परियोजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं। अधिकारियों के मुताबिक स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है लेकिन हालात बेहतर होने के आसार हैं। निजी क्षेत्र की अभी तक शहरी विकास की योजनाओं में एक तरह की हिचक सामने आती रही है। इसका बड़ा कारण राज्यों में प्रशासनिक तंत्र का ढीला-ढाला रवैया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरी विकास की परियोजनाओं पर निजी क्षेत्र का भरोसा फिर बढ़ने लगा है। कोविड महामारी का असर बीतने के बाद धीरे-धीरे उन परियोजनाओं में काम बढ़ने लगा है, जहां सरकार के साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी है।
'स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है'
मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, पीपीपी यानी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी वाली 180 परियोजनाएं अब तक पूरी हो चुकी हैं। अधिकारियों के मुताबिक, स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है, लेकिन हालात बेहतर होने के आसार हैं।
निजी क्षेत्र की अभी तक शहरी विकास की योजनाओं में एक तरह की हिचक सामने आती रही है। इसका बड़ा कारण राज्यों में प्रशासनिक तंत्र का ढीला-ढाला रवैया है, खासकर नगरीय निकायों में कामकाज के लिहाज से। रिपोर्ट के मुताबिक, 28 पीपीपी परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं। इनकी कुल लागत लगभग तीन हजार करोड़ रुपये है। ये सभी स्मार्ट सिटी मिशन की परियोजनाएं हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन में कारगर रहा है पीपीपी मॉडल
अधिकारियों के अनुसार, पीपीपी मॉडल यदि कहीं सबसे अधिक कारगर रहा है तो वह स्मार्ट सिटी मिशन है। पिछले कुछ वर्षों में खासकर कोरोना के समय पीपीपी की परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ सकीं तो इसका कारण यह है कि इस महामारी की मार सभी क्षेत्रों में पड़ी थी और निर्माण गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई थीं, लेकिन इसके बाद से हालात संभल रहे हैं।
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निजी क्षेत्र का भरोसा फिर से हो रहा बहाल
निजी क्षेत्र का भरोसा फिर से धीरे-धीरे बहाल होने के कारणों पर अधिकारियों का कहना है कि स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट समयबद्ध तरीके से पूरे हो रहे हैं। यह सही है कि इनमें से कुछ परियोजनाएं देरी का शिकार हुई हैं, लेकिन अधिकांश राज्यों का प्रदर्शन ठीक रहा है और मिशन की समयसीमा देरी का शिकार राज्यों के कारण ही बढ़ानी पड़ी है।
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स्मार्ट सिटी मिशन के कामों में निजी क्षेत्र की भागीदारी केवल लाभ के लिए ही नहीं होती। किसी स्थल के पुनरुद्धार अथवा लाइब्रेरी या ओपेन स्पेस का निर्माण जैसे कई कार्य हैं, जिसमें निजी क्षेत्र लाभ के बजाय सामाजिक जिम्मेदारी जैसे अन्य कारणों से शामिल होता है।