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Parliament News: निलंबित सांसदों का पक्ष सुनेंगी विशेषाधिकार समितियां, अगले सप्ताह होगी बैठक; कुल 14 सदस्यों पर हुई कार्रवाई

भाजपा सदस्य सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली लोकसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक में कांग्रेस के तीन लोकसभा सदस्यों - के. जयकुमार अब्दुल खालिक और विजयकुमार विजय वसंत - को मौखिक साक्ष्य दर्ज करने का अवसर मिलेगा। उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने नौ जनवरी को एक बैठक बुलाई है लेकिन अभी तक सदस्यों को एजेंडा प्रसारित नहीं किया गया है।

By Agency Edited By: Amit Singh Updated: Wed, 03 Jan 2024 06:30 AM (IST)
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निलंबित सांसदों का पक्ष सुनेंगी विशेषाधिकार समितियां

पीटीआई, नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के सदस्यों को अशोभनीय आचरण के लिए निलंबित किए जाने के मुद्दे पर विचार करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की विशेषाधिकार समितियों की अगले सप्ताह बैठक होगी। इस दौरान विपक्ष के 14 सदस्यों को निलंबन के मुद्दे पर अपना विचार रखने का मौका दिया जाएगा।

इन 14 सदस्यों में तीन लोकसभा से और 11 राज्यसभा से हैं। विपक्ष के इन सदस्यों को 18 दिसंबर को संबंधित सदनों से निलंबित कर दिया गया था। उनके मामलों को विशेषाधिकार समिति को भेजा गया है। बुलेटिन के अनुसार राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक नौ जनवरी को होने वाली है, जबकि लोकसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक 12 जनवरी को होगी।

भाजपा सदस्य सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली लोकसभा की विशेषाधिकार समिति की बैठक में कांग्रेस के तीन लोकसभा सदस्यों - के. जयकुमार, अब्दुल खालिक और विजयकुमार विजय वसंत - को मौखिक साक्ष्य दर्ज करने का अवसर मिलेगा। उपसभापति हरिवंश की अध्यक्षता में राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति ने नौ जनवरी को एक बैठक बुलाई है, लेकिन अभी तक सदस्यों को एजेंडा प्रसारित नहीं किया गया है।

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद की सुरक्षा में सेंध के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग को लेकर हंगामा करने के कारण लोकसभा में विपक्ष के 100 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था इनमें से 97 सदस्यों को शेष शीतकालीन सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था जबकि जयकुमार, अब्दुल खालिक और विजयकुमार विजय वसंत का मुद्दा विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था। क्योंकि ये तीनों पीठासीन अधिकारी की कुर्सी तक पहुंच गए थे।

राज्यसभा में भी हंगामे के कारण विपक्ष के 46 सदस्यों का निलंबित कर दिया गया था। इनमें 11 सदस्य भी शामिल थे, जिनका मामला उच्च सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजा गया था।