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आतंक का पर्याय पुलवामा बना नए कश्मीर का चेहरा, विकास योजनाओं ने पकड़ी रफ्तार; आतंकियों की संख्या तीन तक सिमटी

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के तीन साल के अंदर पुलवामा जिले में आतंकवाद के गढ़ की जगह विकास के रास्ते में नए कश्मीर का चेहरा बन गया है। पुलवामा जिले में सिर्फ तीन सक्रिय आतंकी बचे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 25 Nov 2022 08:15 PM (IST)
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आतंक का पर्याय पुलवामा बना नए कश्मीर का चेहरा। फाइल फोटो।
नीलू रंजन, पुलवामा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म होने के तीन साल के अंदर पुलवामा जिले में आतंकवाद के गढ़ की जगह विकास के रास्ते में नए कश्मीर का चेहरा बन गया है। एक तरफ पुलवामा जिले में सिर्फ तीन सक्रिय आतंकी बचे हैं, वहीं जिले का बजट दो सालों में पाँच गुना से अधिक बढ़ने से विकास को नई रफ्तार मिल रही है। जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार विकास की योजनाओं की मंजूरी और आतंकी इकोसिस्टम के खिलाफ कार्रवाई में राजनीतिक दखलंदाजी का नहीं होना इस बड़े बदलाव की प्रमुख वजह है।

अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद रूक गई है पत्थरबाजी

आतंकी हमलों के लिए पुलवामा लंबे समय से बदनाम रहा है, लेकिन साल 2019 में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत और उसके बाद पाकिस्तान के भीतर किये गए एयर स्ट्राइक ने इसकी बदनामी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँचा दिया। पुलवामा में सड़कों पर अब भी पत्थरबाजी में क्षतिग्रस्त हुए सुरक्षा बलों के कुछ वाहनों को देखा जा सकता है, लेकिन पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद रूकी पत्थरबाजी दोबारा शुरू नहीं हो पाई।

जनता कर रही है सिस्टम पर भरोसा- उपायुक्त

पुलवामा के उपायुक्त बसीर उल हक चौधरी के अनुसार विकास योजनाओं को पारदर्शी तरीके से लागू करने और आतंकी इकोसिस्टम पर बिना राजनीतिक दखलंदाजी के कार्रवाई की वजह से जनता का सिस्टम पर भरोसा कायम करने में कामयाबी मिली है। बसीर उल हक चौधरी के अनुसार दो साल पहले शुरू हुई बैंक टू विलेज योजना के तहत जिले के सभी गांवों की 525 योजनाओं कोचिह्नित किया गया और इनमें से 475 योजनाएं पूरी की जा चुकी है।

पुलवामा में बढ़ रहा है निवेश

47 फीसद युवा आबादी वाले जिले में युवाओं की ऊर्जा को खेल की तरफ मोड़ने के लिए हर पंचायत में कम से कम एक खेल का मैदान सुनिश्चित किया गया और आज 190 पंचायतों में 247 खेल के मैदान हैं। पांच करोड़ की लागत से सिंथेटिक टर्फ हाकी स्टेडियम बनकर तैयार है। चौधरी के अनुसार दो सालों में स्कूलों छात्रों की संख्या 20 हजार बढ़ गई है। इसी तरह से जम्मू-कश्मीर की नई औद्योगिक नीति की वजह से आने वाले निवेश को हासिल करने पुलवामा पहले नंबर पर है। निवेश करने वालों में जिंदल ग्रुप की जेएसडब्ल्यू भी शामिल है।

आतंकवादियों को छुड़ाने के लिए आते थे राजनीतिक नेताओं के फोन

उन्होंने कहा कि 2020-21 में जिले का बजट महज 137 करोड़ था, जो 2021-22 में तीन गुना बढ़कर 407 करोड़ हो गया। चालू वित्त वर्ष में पुलवामा जिले का बजट 750 करोड़ रुपये है। आतंक के खौफ से विकास के बयार तक पुलवामा के सफर की कहानी पांच अगस्त 2019 के बाद की बदली हुई परिस्थितियों की देन है। जिले के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी के अनुसार 2019 के पहले किसी आतंकी संगठन से जुड़े ओवरग्राउंड वर्कर को पकड़ना आसान नहीं था। उसे छुड़ाने के लिए तत्काल राजनीतिक, सामाजिक नेताओं के फोन आने शुरू हो जाते थे। अब किसी का फोन नहीं आता क्योंकि सबको पता है फोन करने से कोई फायदा नहीं होगा।

लोगों को पसंद आ रही है पुलिस की निष्पक्षता और पारदर्शिता

आतंक के खिलाफ लड़ाई में पुलिस की निष्पक्षता और पारदर्शिता लोगों को पसंद आ रही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ इस जिले में पांच दर्जन से अधिक युवाओं को आतंकी बनने से रोकने में सफलता मिली है, जिनमें अधिकांश में माता-पिता या रिश्तेदार ने पुलिस से मदद मांगी थी। नए आतंकियों की भर्ती रूकने और पुराने आतंकियों के सफाए के बाद सक्रिय आतंकियों की संख्या तीन तक सिमट गई है। उन्होंने जल्द ही इसके शून्य तक पहुंचने की उम्मीद जताई ।

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