अंकल को पार्किसंस की बीमारी से परेशान होते देख बनाया कंपन नापने वाला डिवाइस
पार्किसंस बीमारी से 42 वर्षीय चाचा को परेशान होता देख 14 वर्षीय जुई केसकर ने ऐसा डिवाइस बनाया है जो कंपन को नाप सकता है। इस डिवाइस के लिए जुई को कई अवॉर्ड मिल चुके हैं। वो अमेरिका में होने वाले आईएसईएफ में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Mon, 08 Mar 2021 12:31 PM (IST)
नेशनल डेस्क, नई दिल्ली। पुणे की रहने वाली 14 साल की जुई केसर के बालमन में एक ही सवाल कौंधता था कि आखिर उनके चाचा के हिलते हाथ को कोई थामकर ठीक क्यों नहीं कर देता है? तमाम बीमारियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों के पास इसके लिए कोई दवा क्यों नहीं है? थोड़ी बड़ी होने के बाद उसे समझ आया कि चाचा को पार्किसंस बीमारी है और इसका कोई इलाज नहीं है।
नौ साल से डॉक्टरों को उपचार करते देख वो एक ही बात समझ पाई कि कंपन (झटकों की आवृत्ति) देखकर ही दवाई बढ़ाई या घटाई जाती है। हालांकि डॉक्टरों के पास कंपन नापने का कोई उपकरण नहीं था। वे सिर्फ अनुभव के आधार पर ही दवाई देते थे। यह अंदाज जुई को पंसद नहीं आता था। यहीं से जुई के मन विचार आया कि एक ऐसी मशीन होनी चाहिए जिससे वो चाचा के शरीर में होने वाले बढ़ते-घटते कंपन को नाप सके। स्कूल, पढ़ाई और रोजमर्रा की व्यस्तताओं के बीच एकाग्र होकर सोचने का वक्त ही नहीं मिला।
फिर कोविड-19 का समय आया तो जुई को अपने विचारों को मूर्त रूप देने का समय मिला। उसने पार्किसंस बीमारी के बारे में पढ़ना शुरू किया और फिर जरूरत के अनुसार उस पर काम शुरू किया। जुई का मानना था कि झटके को मापकर उसके अनुरूप दवाई देने के लिए शरीर के कंपन का डाटा जरूरी है। इसके लिए जे टेमर थ्री-डी बनाया। दस्ताने की तरह का यह उपकरण सेंसर, एक्सेलेरोमीटर और गायरो मीटर से लैस है।
यह उपकरण सॉफ्टवेयर से जुड़ा होता है जो पार्किसंस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में होने वाले 1/10 वें सेकंड के झटके को ट्रैक करने में सक्षम है। क्लाउड डाटाबेस के जरिये डाटा संग्रहित किया जाता है। जुई का कहना है कि इस डिवाइस की प्रेरणा उन्हें पढ़ी गई एक पंक्ति से मिली। जिसमें लिखा था कि कोई भी चीज को तब तक नियंत्रित नहीं कर सकते, जब तक उसे मापा नहीं जा सके। इस बात ने मेरे दिमाग पर असर किया। और मैंने सोचा कि चाचा को आने वाले झटके को नियंत्रित करने के लिए सबसे पहले उसे नापना होगा।