कौन हैं भारतीय नौसेना के आठ अफसर, जिन्हें कतर कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा; MEA ने कहा- मुद्दे को गंभीरता से ले रही सरकार
खाड़ी क्षेत्र के देश कतर के एक स्थानीय कोर्ट ने अगस्त 2022 में गिरफ्तार भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को फांसी की सजा सुनाई है। भारत ने इस फैसले को स्तब्धकारी बताते हुए कहा है कि सरकार सारे कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है। कतर के समाचार पत्रों की रिपोर्ट के मुताबिक आठों भारतीयों पर जासूसी के आरोप लगाए गए हैं।
'कानूनी विकल्प तलाश रही सरकार'
बयान के अंत में यह कहा गया है कि चूंकि यह मुद्दा काफी संवेदनशील है इसलिए फिलहाल इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं की जा सकती। यह भी बता दें कि कतर ने लंबे समय तक इन लोगों को राजनयिक मदद पहुंचाने के भारतीय आग्रह को तवज्जो नहीं दी थी। पहली बार एक अक्टूबर, 2023 को कतर में भारतीय राजदूत ने उनसे मुलाकात की थी।हमें यह सूचना मिली है कि कतर के कोर्ट ने प्रथमदृष्टया अल दहरा कंपनी में कार्यरत आठ भारतीयों को फांसी की सजा सुनाई है। फांसी की सजा सुनाए जाने को लेकर हम स्तब्ध हैं और विस्तृत आदेश का इंतजार कर रहे हैं। हम इन लोगों के स्वजन और कानूनी टीम के साथ संपर्क में हैं। हम इस मामले को बहुत ही गंभीरता से ले रहे हैं। हम इन लोगों को सभी तरह की राजनयिक और कानूनी मदद देने को तैयार हैं। हम कतर के अधिकारियों के साथ भी इस मुद्दे को उठाएंगे।
कौन हैं पूर्व नौसेना अधिकारी
- कैप्टन नवतेज सिंह गिल
- कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा
- कैप्टन सौरभ वशिष्ठ
- कमांडर अमित नागपाल
- कमांडर पूर्णेंदु तिवारी
- कमांडर सुगुनाकर पकाला
- कमांडर संजीव गुप्ता
- सेलर रागेश
कमांडर तिवारी को 2019 में दिया गया था प्रवासी भारतीय सम्मान
कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को वर्ष 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था, जो प्रवासी भारतीयों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। उस समय एक पोस्ट में दोहा स्थित भारतीय दूतावास ने कहा था कि कमांडर तिवारी को यह पुरस्कार विदेश में भारत की छवि बढ़ाने के लिए दिया गया है। दूतावास ने कहा था,यह भी पढ़ें: कतर जाने की फिराक में थे अमृतपाल सिंह के पिता, जांच एजेंसियों ने अमृतसर एयरपोर्ट पर रोका; आधे घंटे की पूछताछ कमांडर तिवारी अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीस एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के प्रबंध निदेशक थे और जब वह भारतीय नौसेना का हिस्सा थे, तब उन्होंने कई युद्धपोतों की कमान संभाली थी।यह पुरस्कार कतर अमीरी नौसेना बलों के लिए क्षमता निर्माण में उनके योगदान के लिए है, जिससे भारत-कतर द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है। वह एनआरआई या पीआईओ के लिए इस सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय सशस्त्र बल के कर्मी हैं।