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Rabindranath Tagore Jayanti: नोबेल जीतने वाले पहले भारतीय, दो देशों को द‍िए राष्‍ट्रगान; जानें रोचक बातें

ये तो सब जानते होंगे क‍ि टैगोर ने भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ल‍िखा था लेक‍िन कम ही लोगों को पता होगा क‍ि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है। टैगोर के जन्‍मद‍िवस पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

By Vinay SaxenaEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Sat, 06 May 2023 10:00 PM (IST)
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रवींद्रनाथ टैगोर का जन्‍म 7 मई 1861 को जोड़ासांको में एक बंगाली परिवार में हुआ था।
नई द‍िल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। राष्ट्रगान के रचयिता, कव‍ि और नोबेल पुरस्कार व‍िजेता रवींद्रनाथ टैगोर की 7 मई को जयंती है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रवींद्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' के नाम से भी जाना जाता है। वे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किए जाने वाले पहले भारतीय थे। ये तो सब जानते होंगे क‍ि टैगोर ने भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रगान ल‍िखा था, लेक‍िन कम ही लोगों को पता होगा क‍ि श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है। टैगोर के जन्‍मद‍िवस पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे रवींद्रनाथ टैगोर

रवींद्रनाथ टैगोर का जन्‍म 7 मई 1861 को जोड़ासांको में एक बंगाली परिवार में हुआ था। भारत में 7 मई तो वहीं बांग्लादेश में टैगोर की जयंती 9 मई को मनाई जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर के प‍िता का नाम देवेंद्र नाथ टैगोर था, जबक‍ि माता शारदा देवी थीं। वे 14 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।

लंदन यून‍िवर्स‍िटी से लॉ की पढ़ाई, ब‍िना ड‍िग्री ल‍िए ही लौटे देश

टैगोर बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। उनकी आरंभि‍क शि‍क्षा सेंट जेवियर स्कूल से हुई। साल 1878 में इंग्लैंड के ब्रिजस्टोन पब्लिक स्कूल में पढ़ने गए। इसके बाद लंदन यून‍िवर्स‍िटी से लॉ की पढ़ाई की, लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए ही देश लौट आए। इसके बाद उन्होंने फिर से लिखना शुरू किया।

श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से है प्रेरित

रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' तो लिखा ही है। इसके साथ ही उन्‍होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी लिखा है। श्रीलंका के राष्ट्रगान का एक हिस्सा भी टैगोर की कविता से प्रेरित है। टैगोर कवि, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार ही नहीं, बल्‍क‍ि साहित्य की कई विधाओं में निपुण थे।

8 साल की उम्र में ल‍िखी पहली कव‍िता

टैगोर बचपन से ही कहानियां और कव‍िताएं ल‍िखते थे। वे महज 8 साल के थे, जब उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी थी। 16 साल की उम्र में टैगोर की पहली लघुकथा (शॉर्ट स्‍टोरी) प्रकाशित हो गई थी। टैगोर ने 1901 में पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्र में शांति निकेतन स्थित एक प्रायोगिक विद्यालय की शुरुआत की। इस स्‍कूल में उन्‍होंने भारत और पश्चिमी परंपराओं को मिलाने की कोशिश की। 1921 में यह विद्यालय विश्व भारती विश्वविद्यालय बन गया।

1913 में म‍िला साह‍ित्‍य में नोबेल पुरस्‍कार

टैगोर दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने विश्व धर्म संसद को दो बार संबोधित किया। इसके पहले स्वामी विवेकानंद ने धर्म संसद को संबोधित किया था। टैगोर ने कई कविताएं और पुस्तकें प्रकाशित की। काव्यरचना गीतांजलि के लिये रवींद्रनाथ टैगोर को 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार म‍िला। वे ये पुरस्‍कार जीतने वाले पहले गैर यूरोपीय व्‍यक्‍त‍ि थे। हालांकि, टैगोर ने इस नोबेल पुरस्कार को सीधे स्वीकार नहीं किया, बल्कि उनकी जगह पर ब्रिटेन के एक राजदूत ने ये पुरस्कार लिया था।

7 अगस्‍त 1941 को हुआ था टैगोर का न‍िधन

ब्रिटिश सरकार ने रवींद्रनाथ टैगोर को 'सर' की उपाधि से भी नवाजा था, लेकिन जलियांवाला बाग कांड (साल 1919) के बाद उन्‍होंने इस उपाधि को वापस कर द‍िया था। टैगोर बैरिस्टर बनना चाहते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि रवींद्रनाथ टैगोर को कलर ब्लाइंडनेस था। उन्‍हें प्रोस्टेट कैंसर था। 7 अगस्त, 1941 को रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया।