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राफेल-M की खासियत देख दुश्मनों के छूटेंगे पसीने, Rafale से ज्यादा घातक है यह लड़ाकू विमान

Rafale M Fighter Jet रक्षा अधिग्रहण परिषद ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के लिए राफेल लड़ाकू जेट के 26 मरीन (Rafale-M) को खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। रक्षा अधिकारियों ने जानकारी दी कि 26 विमानों में से 22 सिंगल-सीटर हैं और चार विमान के ट्विन-सीटर हैं। हालांकि राफेल और राफेल-एम में कुछ अंतर है। आइए आज जानते हैं कि आखिर इन दोनों लड़ाकू विमानों में क्या अंतर है।

By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 13 Jul 2023 09:04 PM (IST)
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Rafale-M: भारतीय नौसेना को बहुत जल्द मिलने वाला लड़ाकू विमान राफेल मरीन। (फोटो सोर्स: जागरण)

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय नौसेना की ताकत लगातार बढ़ रही है। समुद्री सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए भारतीय नौसेना को बहुत जल्द राफेल मरीन (Rafale Marine) मिलने वाला है। बता दें कि पीएम मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंच चुके हैं। रणनीतिक साझेदारी के लेकर पीएम मोदी की यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण है। यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच बड़ी रक्षा परियोजनाओं का ऐलान होने वाला है।

राफेल मरीन को खरीदने के प्रस्ताव को मिली मंजूरी

रक्षा अधिग्रहण परिषद ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के लिए 26 लड़ाकू विमान राफेल-एम (Rafale-M) को खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। रक्षा अधिकारियों ने जानकारी दी कि 26 विमानों में से 22 सिंगल-सीटर और चार विमान ट्विन-सीटर हैं। यह विमान फ्रांस के दसॉल्ट एविएशन से खरीदा जाएगा।

जानकारी के मुताबिक, आईएनएस विक्रांत पर राफेल मरीन की तैनाती होने वाली है। बता दें कि साल 2016 के सितंबर में भारत ने 59,000 करोड़ रुपये के सौदे के तहत फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदा है। हालांकि, राफेल और राफेल-एम में कुछ अंतर है। आइए आज जानते हैं कि आखिर इन दोनों लड़ाकू विमानों में क्या

अंतर है।

(फोटो सोर्स: एपी) 

आखिर राफेल मरीन क्यों है खास?

राफेल-एम की डिजाइन राफेल से थोड़ी अलग है। राफेल मरीन की साइज राफेल से छोटी है। इस विमान को विमानवाहक युद्धपोत के लिए खास तैयार किया गया है। युद्धपोत पर विमानों की लैंडिग काफी प्रभावशाली होनी चाहिए। राफेल मरीन आसानी से एयरक्राफ्ट कैरियर पर लैंड कर सके, इसके लिए विमान के लैडिंग गियर और एयर फ्रेम को भी अधिक शक्तिशाली बनाया गया है। वहीं, इस विमान की फोल्डिंग विंग्स भी काफी मजबूत है।

जानें क्या है विमान का वजन

वजन की बात करें तो राफेल की तुलना में राफेल मरीन का वजन थोड़ा अधिक है। जानकारी के मुताबिक, इस लड़ाकू विमान का वजन लगभग 10,300 किलोग्राम है। राफेल विमान के विंग्स मुड़ नहीं सकते, लेकिन इस विमान के विंग्स पूरी तरह मुड़ सकते हैं।

(फोटो सोर्स: एपी)

विमान में लगाए जा सकते हैं कई शक्तिशाली मिसाइल

इस विमान में पनडुब्बियों को खोजने और मार गिराने में एडवांस रडार लगाए गए हैं। इस विमान में एंटी शिप मिसाइल भी लगाए जाएंगे, जो हवा से जमीन हमला कर सकती है। इस विमान में मीटियोर, स्कैल्प और हैमर मिसाइलें जैसे मिसाइलें लगाई जा सकती है।

मैक 2 स्पीड से दुश्मनों पर कर सकता है हमला

इस विमान की गति की बात करें तो राफेल-एम मैक 2 स्पीड से लड़ाकू विमान उड़ सकता है। यह स्टील्थ  से लैस है। इसका अर्थ है कि यह दुश्मन के राडार को चकमा देने में सक्षम है। राफेल विमान हिमालय के ऊपर बेहद सर्द मौसम में भी उड़ सकता है।

(फोटो सोर्स: एपी) 

विमान का काम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर

राफेल एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है। गौरतलब है कि यह विमान पाकिस्तान के पास मौजूद F-16 या चीन के पास मौजूद J-20 से बेहतर है। इस विमान का काम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है। इसका अर्थ है कि ये अपनी उड़ान वाली जगह से इतनी दूर हमला कर वापस लौट सकता है। राफेल की तरह इस विमान में भी हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता है।