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राहुल गांधी ने बदला अपना ट्विटर प्रोफाइल, सदस्यता बहाल होने पर Disqualified से वापस हुए Member of Parliament

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद की सदस्यता सोमवार को बहाल हो गई। सदस्यता बहाल होने के बाद वह लोकसभा पहुंचे। इसी बीच उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपना प्रोफाइल बदला है। मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल गांधी की सदस्यता वापस से बहाल हुई है। उन्होंने अपने प्रोफाइल को बदलकर Dis’Qualified MP से वापस Member of Parliament कर दिया है।

By Devshanker ChovdharyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Mon, 07 Aug 2023 12:37 PM (IST)
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संसद की सदस्यता बहाल होने पर राहुल गांधी ने बदला अपना ट्विटर प्रोफाइल।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की संसद की सदस्यता सोमवार को बहाल हो गई। सदस्यता बहाल होने के बाद वह लोकसभा पहुंचे। इसी बीच, उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर अपना प्रोफाइल बदला है। मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल गांधी की सदस्यता वापस से बहाल हुई है।

राहुल गांधी ने बदला अपना प्रोफाइल

राहुल गांधी ने अपना ट्विटर प्रोफाइल बदल लिया है। उन्होंने अपने प्रोफाइल को बदलकर 'Dis’Qualified MP' से वापस 'Member of Parliament' कर दिया है। प्रोफाइल बदलने के तुरंत बाद लोगों का ध्यान इस ओर गया।

कांग्रेस ने सत्य की जीत बताई

बता दें कि मोदी सरनेम मामले में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने चार अगस्त को राहत दी थी, जिसके बाद लोकसभा सचिवालय ने आज उनकी संसद की सदस्यता बहाल कर दी। सदस्यता बहाल होने के बाद कांग्रेस ने इसे सत्य और भारत के लोगों की जीत बताई।

क्या है मोदी सरनेम मामला?

बता दें कि मोदी सरनेम (Modi Surname Case) को लेकर राहुल गांधी की टिप्पणियों के बाद सूरत की एक अदालत ने मानहानि मामले में उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। सजा सुनाने के बाद मई में राहुल गांधी को संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली में पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा था, 'सभी चोरों का सरनेम मोदी कैसे है?'

मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दोषसिद्धि पर रोक लगाते हुए कहा था कि ट्रायल जज द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है। अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।