रायगढ़ में भूस्खलन ने मचाया तांडव, चौथे दिन भी चल रहा बचाव अभियान; इस भारी लैंडस्लाइड के पीछे क्या है वजह?
Raigad Landslide महाराष्ट्र के रायगढ़ में बुधवार को हुए भारी भूस्खलन के कारण पूरा गांव इसकी चपेट में आ गया जिसमें सैकड़ों लोग फंस गए थे। फिलहाल लोगों को रेस्क्यू करने का काम जारी है लेकिन अब भी इसमें लगभग 90 लोग लापता बताए जा रहे हैं। इसके अलावा अब तक 22 लोगों का शव बरामद कर लिया गया है।
नई दिल्ली, शालिनी कुमारी। Raigad Landslide: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालवाड़ी गांव में 19 जुलाई (बुधवार) को भारी बारिश के कारण एक पूरा पहाड़ दरक गया, जिससे भारी भूस्खलन हो गया। इस भूस्खलन ने पूरे गांव को अपने चपेट में ले लिया, जिसमें सैकड़ों लोग फंस गए थे। हालांकि, तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर लोगों को बचाया गया, लेकिन हादसे के चौथे दिन भी सभी लोगों का रेस्क्यू नहीं किया जा सका है।
इस हादसे में अब तक 22 लोगों के शव मलबे से बाहर निकाले जा चुके हैं। वहीं, कुछ लोगों को बचाने के लिए अभी भी बचाव कर्मी काम पर लगे हुए हैं। बचाव कर्मी अधिकारियों ने बताया कि अभी भी लगभग 80 लोग लापता हैं। रेस्क्यू कर लिए गए लोगों को पास के राहत शिविर में शिफ्ट कर दिया गया है।
लापता लोगों की तलाशी के लिए घटना के चौथे दिन भी बचाव कर्मी रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं। हालांकि, प्रदेश के खराब मौसम के कारण लगातार यहां पर बचाव कार्य जारी रखना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। साथ ही, कच्चे रास्ते, पथरीली और उबड़-खाबड़ जमीन के कारण लेटेस्ट मशीनों को भी घटनास्थल पर ले जाना संभव नहीं हो पा रहा है।
सीएम शिंदे ने की मुआवजा राशि की घोषणा
घटना के बाद सीएम एकनाथ शिंदे ने क्षेत्र का दौरा किया और मृतकों के परिजनों तथा पीड़ितों से मुलाकात भी की। इस दौरान सीएम ने मृतकों के परिजनों को 5 लाख रुपये राहत राशि देने की घोषणा की है। सीएम शिंदे के बाद उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की थी। गृह मंत्री अमित शाह लगातार सीएम शिंदे से फोन पर घटना का जायजा ले रहे हैं।
17 घर पूरी तरह से जमींदोज
पहाड़ के पास बसा यह गांव प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है। राज्य के कई इलाकों में भारी बारिश को लेकर अलर्ट जारी किया गया था। इलाके में भारी मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन हुआ। हालांकि, इस गांव में महज 50 घर थे, लेकिन इसमें से 17 घर पूरी तरह से जमींदोज हो गए थे। साथ ही, इस गांव में 228 लोग रहते थे, जिसमें से 143 लोगों को रेस्क्यू कर लिया गया है। हादसे में तीन पशुओं की भी मौत हो गई, जबकि 21 को बचा लिया गया।
रेस्क्यू ऑपरेशन में कर्मियों को आ रही परेशानियां
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को लगातार भारी बारिश, भूस्खलन के खतरे और अंधेरे के कारण कई बार अपना खोज और बचाव अभियान रोकना पड़ा है। बताया जा रहा है कि अब भी लगभग 70 से अधिक लोगों के मलबे के नीचे दबे होने की आशंका है।
स्नीफर डॉग की मदद से एनडीआरएफ टीम लोगों की तलाश कर रही है। हालांकि, टीम को राहत और बचाव कार्य करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पहाड़ से सटे इस इलाके में को शहर से जोड़ने के लिए कोई पक्की सड़क न होने के कारण अधिकारियों को इरशालवाड़ी तक पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लग रहा है। कच्ची और मिट्टी वाली सड़कें होने के कारण अधिकारियों को मिट्टी खोदने वाले यंत्रों को घटनास्थल पर ले जाने में परेशानी हो रही है।
2014 के बाद सबसे बड़ा भूस्खलन
जिला कलेक्टरेट के आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक, पिछले 17 सालों में रायगढ़ जिले में भूस्खलन के कारण लगभग 302 लोगों की मौत हो गई है। ये आंकड़े भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) द्वारा किए गए सर्वे पर आधारित हैं। जुलाई 2021 में रायगढ़ में चार भूस्खलन हुए थे, जिसमें 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। लगातार हो रही बारिश के कारण यहां पर ज्यादा भूस्खलन होते हैं।
पुणे जिले के मालिन गांव में जुलाई 2014 की घटना के बाद बुधवार को हुआ भूस्खलन महाराष्ट्र में सबसे बड़ा भूस्खलन मान जा रहा है। साल 2014 में हुए भूस्खलन ने लगभग 50 परिवारों वाले पूरे आदिवासी गांव को निगल लिया था।
किस कारण से हुआ हादसा?
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) सर्वेक्षण में रायगढ़ के 103 गांवों को राष्ट्रीय भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्रण (एनएलएसएम) सूची में दिखाया गया है, जिसमें से नौ गांव अति संवेदनशील हैं। एनएलएसएम संवेदनशीलता भू-डेटाबेस बनाने के लिए भारत के भूस्खलन संभावित क्षेत्रों का मानचित्रण करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि और विकास परियोजनाओं के लिए पहाड़ी ढलानों पर अत्यधिक वनों की कटाई ने पश्चिमी घाट को कमजोर और नाजुक बना दिया है। भारी वर्षा के कारण पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण क्षेत्र भूस्खलन के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। इस बार भी ठीक ऐसा ही हुआ है। लगातार हो रही बारिश के कारण पश्चिमी घाट कमजोर पड़ गए और भूस्खलन में पूरे गांव को अपनी चपेट में ले लिया।