Train Accident: तो इस वजह से हो रहे हैं लगातार रेल हादसे? यूनियन ने कर दिया बड़ा दावा, RTI में भी हुआ खुलासा
इंडियन रेलवे के एक यूनियन का दावा है कि कर्मचारियों की कमी की वजह से ही दुर्घटनाएं हो रही हैं। उनका कहना है कि संरक्षा वर्ग के कर्मचारियों पर काम का बहुत ज्यादा बोझ है। इधर रेलवे ने आरटीआई में बताया कि सेफ्टी कैटेगरी के 10 लाख स्वीकृत पदों में से इस वर्ष मार्च तक 1.5 लाख से अधिक पद रिक्त थे।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे में संरक्षा वर्ग (सेफ्टी कैटेगरी) में लगभग 10 लाख स्वीकृत पद हैं, लेकिन इस वर्ष मार्च तक इनमें से 1.5 लाख से अधिक पद रिक्त थे। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि ट्रेनों की सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है और पिछले 10 वर्षों में इस दिशा में उल्लेखनीय निवेश किया गया है।
सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मध्य प्रदेश निवासी आरटीआई आवेदक चंद्रशेखर गौर को अपने जवाब में रेलवे ने बताया कि एक मार्च, 2024 को रेलवे के संरक्षा वर्ग में स्वीकृत पद 10,00,941 थे, जिन पर 8,48,207 पदों पर कर्मचारी कार्यरत थे और 1,52,734 पद रिक्त थे। उल्लेखनीय है कि संरक्षा वर्ग में ट्रेन ड्राइवर, इंस्पेक्टर, क्रू कंट्रोलर, लोको इंस्ट्रक्टर, ट्रेन कंट्रोलर, ट्रैक मेंटेनर, स्टेशन मास्टर, प्वाइंट्स मैन, इलेक्टि्रक सिग्नल मेंटेनर और सिग्निंलग सुपरवाइजर जैसे पद शामिल हैं।
सुरक्षित संचालन के लिए महत्वपूर्ण
ट्रेनों के परिचालन में सीधे तौर पर शामिल होने के कारण ये पद ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं। लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) के रिक्त पदों के बारे में पूछे गए सवाल पर रेलवे ने बताया कि स्वीकृत 70,093 पदों में से 14,429 पद रिक्त हैं। जबकि असिस्टेंट लोको पायलट के स्वीकृत 57,551 पदों में से 4,337 पद रिक्त हैं। सृजित किए गए नए पदों और खत्म किए गए पदों की संख्या के बारे में सवाल पर रेलवे ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर इसके आंकड़े नहीं रखे जाते।
इस बीच, नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमैन के सहायक महासचिव अशोक शर्मा का कहना है कि कर्मचारियों की कमी की वजह से ही दुर्घटनाएं हो रही हैं। संरक्षा वर्ग के कर्मचारियों पर काम का बहुत ज्यादा बोझ है। उन्हें अपनी मानसिक एवं शारीरिक क्षमता से ज्यादा काम करना पड़ता है।
बढ़ाया जा रहा निवेश: रेलवे
वहीं, रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 2014-24 की अवधि में संरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं पर निवेश 1,78,000 करोड़ रुपये हुआ है, जो 2004-14 की अवधि में इस मद में हुए 70,273 करोड़ के निवेश से 2.5 गुना है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा उपायों को और बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। ट्रैक, सिग्नलिंग, लोकोमोटिव और ट्रेनों से जुड़े सुधार इस प्रयास का हिस्सा हैं।