रेलवे को बजट से ज्यादा उम्मीद नहीं, बीते बजट के आवंटन को पूरा खर्च करने की चुनौती
रेलवे स्टेशनों ट्रेनों में सीसीटीवी के लिए 3000 करोड़ रुपये के आवंटन की उम्मीद है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इस बार बजट में रेलवे को उम्मीद से कम आवंटन हो सकता है। चालू वित्तीय वर्ष में रेलवे के खर्च का ग्राफ बहुत ऊंचा नहीं है। नए स्रोतों से आमदनी के प्रयास भी पूर्णतया फलीभूत नहीं हुए हैं। ऐसे में संरक्षा मद में आवंटन बढ़ने के अलावा रेलवे को बजट से ज्यादा उम्मीद नहीं है।
इस बार बजट में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। लेकिन इसका ज्यादातर लाभ सड़क और बंदरगाह मंत्रालय को मिलेगा। जबकि रेलवे और विमानन क्षेत्रों को थोड़े से संतोष करना पड़ सकता है। इसका कारण इनका प्रदर्शन है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पिछले महीने कहा था कि हाईवे और बंदरगाह क्षेत्र ने संतोषजनक प्रदर्शन किया है। परंतु रेलवे को स्टेशन विकास, ट्रेनों की गुणवत्ता और बुलेट ट्रेन परियोजना के मामले में अभी बहुत कुछ करना शेष है।
आवंटन में कमी संभव
पिछले बजट में रेलवे को 55 हजार करोड़ रुपये की सकल बजटीय सहायता के साथ कुल 1.30 लाख करोड़ रुपये की वार्षिक योजना प्राप्त हुई थी। एक लाख करोड़ रुपये के राष्ट्रीय संरक्षा कोष के गठन का एलान भी किया गया था। इसी के साथ रेलवे को चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने को कहा गया था। ये थे-संरक्षा, पूंजीगत एवं विकासात्मक कार्य, स्वच्छता तथा वित्त एवं लेखा सुधार। इनमें पूंजीगत एवं विकासात्मक कार्यो को छोड़ बाकी सभी क्षेत्रों में संतोषजनक प्रगति हुई है। लिहाजा इन मदों में बजटीय आवंटन बढ़ने की पूरी संभावना है। परंतु विकासात्मक व पूंजीगत कार्यो पर पिछले बजट की राशि के पूरी तरह खर्च न होने के कारण आवंटन में कमी संभव है।
सीसीटीवी के लिए 3000 करोड़ रुपये के आवंटन की उम्मीद
जहां तक सुरक्षा का प्रश्न है तो निर्भया फंड को लेकर आरोपों और आतंकी खतरे के मद्देनजर इस बार स्टेशनों और ट्रेनों में सीसीटीवी लगाने की परियोजना को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए बजट में 3000 करोड़ रुपये के आवंटन की संभावना है।
रेल बजट से ज्यादा कुछ न मिलने के संकेत रेलमंत्री पीयूष गोयल भी दे चुके हैं। पिछले दिनो पत्रकारों के साथ चर्चा में उन्होंने रेलवे के आंतरिक स्रोतों से धन जुटाने पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, 'सच कहूं तो मुझे बजट से धन की दरकार नहीं है। अपने खर्चे पूरे करने के लिए हम धन जुटाने के अनोखे तरीके तलाश रहे हैं। मेरे हिसाब से रेलवे में संपत्तियों के जरिए पैसा बनाने के अनेक अवसर मौजूद हैं। ऐसे में हम बजट के भरोसे नहीं रहेंगे।' गोयल ने किराया बढ़ाने की संभावनाओं को भी ये कहते हुए लगभग खारिज कर दिया था कि 'मेरा मानना है कि हमें किराये के बजाय कार्यकुशलता बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।'