Indian Railway: 'फॉग पास' के माध्यम से कोहरे से निपट रहा रेलवे, नई ट्रेनें बढ़ने के साथ उपकरणों की बढ़ाई जा रही खरीद
रेलवे कोहरे की स्थिति में ट्रेनों के सुचारू संचालन के लिए तकरीबन 19700 जीपीएस आधारित नेवीगेशन उपकरणों का प्रयोग कर रहा है। इन उपकरणों को फॉग पास के नाम से भी जाना जाता है। ये उपकरण कोहरे में दृश्यता कम होने पर न्यूनतम व्यवधान और देरी के ट्रेन संचालन में लोको पायलट की मदद करता है। 2018 में पेश फॉग पास हाथ से पकड़ने योग्य पोर्टेबल डिवाइस है।
पीटीआई, नई दिल्ली। रेलवे कोहरे की स्थिति में ट्रेनों के सुचारू संचालन के लिए तकरीबन 19,700 जीपीएस आधारित नेवीगेशन उपकरणों का प्रयोग कर रहा है। इन उपकरणों को 'फॉग पास' के नाम से भी जाना जाता है। ये उपकरण कोहरे में दृश्यता कम होने पर न्यूनतम व्यवधान और देरी के ट्रेन संचालन में लोको पायलट की मदद करता है।
क्या है फॉग पास?
वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने बताया कि 2018 में पेश 'फॉग पास' हाथ से पकड़ने योग्य पोर्टेबल डिवाइस है। यह लोको पायलटों को घने कोहरे में मदद के लिए दिया जाता है। यह उपकरण उन्हें सिग्नल, क्रासिंग गेट (मानवयुक्त और मानवरहित), स्थायी गति प्रतिबंध, तटस्थ खंड आदि जैसे निश्चित स्थलों के स्थान के बारे में आनबोर्ड वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है।
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फॉग पास कैसे करता है काम?
यह भागौलिक क्रम में आने वाले तीन निश्चित स्थलों को प्रदर्शित करता है और 500 मीटर की दूरी पर रह जाने पर ध्वनि संदेश भी देता है। यह उपकरण ट्रेन इंजन की गति, स्थलों तक पहुंचने की दूरी और समय को भी दर्शाता है। इनका उपयोग उन रेलवे जोनों में किया जा रहा है, जहां ट्रेनें कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं।
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अधिकारी ने बताया कि जरूरत के समय उपयोग के लिए पर्याप्त उपकरण स्टॉक में रखने के लिए हम प्रतिवर्ष खरीद बढ़ाते हैं। मार्च 2021 में हमारे पास तकरीबन 12742 फॉग पास डिवाइस थीं। ट्रेनों की संख्या बढ़ने के साथ हमने फाग पास उपकरणों की खरीद भी बढ़ा दी है।