रेलवे ने विदेशी आपूर्तिकर्ता को किया 6.85 करोड़ का अनियमित भुगतान, लोक लेखा समिति ने अपनी रिपोर्ट में दी जानकारी
लोक लेखा समिति ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी कि भारतीय रेलवे के बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) ने डीजल इंजनों के लिए 2017 में एक विदेशी विक्रेता से 6.85 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वह लगभग 36 प्रतिशत रियायती मूल्य पर खरीदने पर सहमत हुआ था। यह मामला डीजल इंजनों के निर्माण के लिए 660 चैनल एयर बाक्स की खरीद से संबंधित है।
पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के बनारस लोकोमोटिव वर्क्स (बीएलडब्ल्यू) ने डीजल इंजनों के लिए 2017 में एक विदेशी विक्रेता से 6.85 करोड़ रुपये के उपकरण खरीदे, जिनका उत्पादन पहले ही बंद हो चुका था। लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
समिति ने बुधवार को लोकसभा में अपनी यह रिपोर्ट पेश की। उसने आश्चर्य व्यक्त किया कि विक्रेता ने खरीद समझौते का उल्लंघन करते हुए इन उपकरणों की डिलीवरी तय समय के बाद की जबकि बीएलडब्ल्यू को इन्हें अस्वीकार करना चाहिए था।
रेलवे बोर्ड ने मई 2016 में बीएलडब्यू में इलेक्टि्रक इंजन बनाने का फैसला किया
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि वह लगभग 36 प्रतिशत रियायती मूल्य पर खरीदने पर सहमत हुआ था। यह मामला डीजल इंजनों के निर्माण के लिए 660 चैनल एयर बाक्स की खरीद से संबंधित है। रिपोर्ट के मुताबिक रूटों के बढ़ते विद्युतीकरण को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने मई 2016 में बीएलडब्यू में इलेक्टि्रक इंजन बनाने का फैसला किया और इसकी शुरुआत फरवरी 2017 से की गई।समिति ने डिलीवरी अवधि को बढ़ाया
2019-20 से बीएलडब्ल्यू में डीजल इंजनों का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया गया। समिति ने कहा कि मई 2016 में बीएलडब्ल्यू ने 660 चैनल एयर बॉक्स के लिए 2,375 अमेरिकी डॉलर प्रति यूनिट की कीमत पर एक विदेशी आपूर्तिकर्ता को खरीद आर्डर दिया था। समिति ने पाया कि फरवरी 2017 तक खेप पहुंचाने के बजाय आपूर्तिकर्ता ने इसे टेंडर के मानदंडों के विपरीत अगस्त 2017 तक पहुंचाया।
समिति ने कहा कि बीएलडब्ल्यू ने शुरू में खेप को अस्वीकार कर दिया था लेकिन जब विक्रेता ने लगभग 36 प्रतिशत की छूट की पेशकश की तो उसने जुलाई 2018 में अपना निर्णय पलट दिया और डिलीवरी अवधि को अगस्त 2017 तक बढ़ाकर नवंबर 2018 में 6.85 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया।
स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता का आकलन 2018 को किया गया: रेलवे
रेलवे ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि यह खरीद डीजल इंजनों के रखरखाव के लिए स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता पर आधारित थी। समिति ने अपना असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि स्पेयर पार्ट्स की आवश्यकता का आकलन 1 जून, 2018 को किया गया था जबकि खरीद आदेश मई 2016 में जारी किया गया था।
समिति ने कहा कि उसने यह भी देखा कि जुलाई 2018 में जब बीएलडब्ल्यू ने आपूर्तिकर्ता से कम दर पर 660 चैनल बाक्स स्वीकार करने का फैसला किया, तो उसके पास पहले से ही स्टाक में 295 ऐसे बाक्स थे।यह भी पढ़ें: UCC: संविधान से आया समान नागरिक संहिता का वादा, उत्तराखंड में दो दिनों तक चली बहस के बाद विधेयक पारित