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ट्रेन से उतरने के दौरान महिला की गई थी जान, अब रेलवे को देना पड़ेगा मुआवजा; कर्नाटक HC ने अपने आदेश में और क्या कुछ कहा?

कर्नाटक हाई कोर्ट ने रेलवे को फरवरी 2014 में गलत ट्रेन से उतरने की कोशिश में जान गंवाने वाली महिला के परिवार को आठ लाख रुपये मुआवजा देने का का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट ने रेलवे को सात प्रतिशत ब्याज के साथ चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Updated: Tue, 14 May 2024 08:16 PM (IST)
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रेलवे को ट्रेन से उतरने में जान गंवाने वाली महिला के परिवार को देना होगा मुआवजा। फाइल फोटो।
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट ने रेलवे को फरवरी 2014 में गलत ट्रेन से उतरने की कोशिश में जान गंवाने वाली महिला के परिवार को आठ लाख रुपये मुआवजा देने का का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने रेलवे दावा न्यायाधिकरण के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट ने रेलवे को सात प्रतिशत ब्याज के साथ चार लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया और कहा कि परिवार को मिलने वाला मुआवजा आठ लाख रुपये से कम नहीं होना चाहिए।

क्या है मामला?

गत फरवरी 2014 में जयम्मा एवं उनकी बहन रत्नम्मा गलती से अशोकपुरम/मैसुरु जाने वाली तिरुपति पैसेंजर के बजाय तूतीकोरिन एक्सप्रेस में चढ़ गईं। ट्रेन के चलने पर उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। ट्रेन से उतरने की कोशिश में जयम्मा प्लेटफार्म पर गिर पड़ीं और उन्हें गंभीर चोटें आईं। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

रेलवे दावा न्यायाधिकरण ने खारिज की थी परिवार की याचिका

रेलवे दावा न्यायाधिकरण ने जयम्मा द्वारा अगले स्टेशन तक यात्रा जारी रखने अथवा अलार्म चेन खींचने जैसे मौजूद अन्य विकल्पों का प्रयोग नहीं करने के कारण परिवार की मुआवजे की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। न्यायाधिकरण ने जयम्मा की मौत को भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 124-ए के तहत खुद को पहुंचाई चोट माना था।

अप्रिय घटना के कारण हुई थी मौतः कोर्ट

कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस एचपी संदेश न्यायाधिकरण की व्याख्या से असहमत थे। उन्होंने कहा कि जयम्मा की मौत अप्रिय घटना के कारण हुई। न्यायाधीश ने न्यायाधिकरण की धारा 124-ए पर निर्भरता की आलोचना की और कहा कि इस मामले में इसे गलत लगाया गया।

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