Raisina Dialogue 2024: यूएन सुधार पर जयशंकर ने की सीधी बात, चीन-पश्चिमी देशों को आड़े हाथों लिया
भारत एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाया है। इस बार नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग के मंच पर इस एजेंडे को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ना सिर्फ जोरदार तरीके से पेश किया बल्कि इसका विरोध करने वाले सभी देशों को आड़े हाथों भी लिया। विदेश मंत्री कहा कि सुधार की कोशिशों में सबसे बड़ी अड़चन पश्चिमी देश नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाया है। इस बार नई दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग के मंच पर इस एजेंडे को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ना सिर्फ जोरदार तरीके से पेश किया बल्कि इसका विरोध करने वाले सभी देशों को आड़े हाथों भी लिया।
यूएनएससी में सुधार के भारत की कोशिशों में सबसे बड़ी अड़चन चीन पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री कहा कि, सुधार की कोशिशों में सबसे बड़ी अड़चन पश्चिमी देश नहीं है। इसके लिए भारत को थोड़ा-थोड़ा करके लंबे समय तक कोशिश करनी पड़ सकती है। भारत लंबे समय से यूएनएससी में स्थाई सदस्यों की संख्या को बढ़ाने और खुद को इसका सदस्य बनाने की मांग कर रहा है।
यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों भारत का किया समर्थन
अभी यूएनएससी के पांच स्थाई सदस्यों में से चार (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस) भारत की मांग का समर्थन करने की बात कई बार कह चुके हैं। जयशंकर ने कहा कि, "जब संयुक्त राष्ट्र् की स्थापना हुई तो इसमें तकरीबन 50 सदस्य थे और आज इनकी संख्या चार गुणा बढ़ चुकी है। यह सामान्य ज्ञान की बात है कि हम यह स्वीकार करें इसे इसी स्थिति में नहीं चलाया जा सकता।"हमें अलग-अलग देशों से बात करनी होगी
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, अगर यूएनएससी सुधार की बात करे तो इसके सबसे बड़े विरोधी पश्चिमी देश नहीं है। हमें समस्या को सही तरीके से समझना होगा। इस मुद्दे पर धीरे-धीरे हमें आगे बढ़ना होगा और अलग-अलग देशों से बात करनी होगी। इसमें लंबा समय लगेगा तभी किसी मुद्दे पर पहुंचा जा सकेगा।
Pleased to host the India-Nordic-Baltic 8 meeting on the sidelines of #RaisinaDialogue2024.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 22, 2024
Thank FMs of Sweden @TobiasBillstrom, Finland @elinavaltonen, Denmark @larsloekke, Estonia @Tsahkna, Latvia @krisjaniskarins, and representatives of Norway, Iceland and Lithuania for… pic.twitter.com/lUSJkZRnkj
स्थितियों का समाधान निकालने में UN असफल
उन्होंने पांच वर्षों का उदाहरण देते हुए समझाया कि कैसे प्रमुख चुनौतीपूर्ण स्थितियों का समाधान निकालने में संयुक्त राष्ट्र असफल रहा है। यह बताता है कि यहां सुधार की कितनी जरूरत है। कई मामलों में यह देखा गया है कि नियम कैसे बनाये गये हैं। आज दुनिया के सामने जो चुनौतियां हैं उनमें से कई इसलिए उत्पन्न हुई हैं कि कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय सिस्टम को अपने फायदे के लिए बनाया है।पश्चिमी देशों को भी आड़े हाथों लिया
चीन पर निशाना साधने के साथ ही भारतीय विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों को भी आड़े हाथों लिया जिन्होंने समय पर यूएन में सुधार के लिए कदम नहीं उठाये। आज दुनिया में कर्ज, कनेक्टिविटी जैसी जो समस्याएं हैं वह पश्चिमी देशों ने पैदा नहीं की हैं लेकिन पश्चिमी देश जब बड़ी शक्ति थे तब इस पर ध्यान नहीं दिया। इस समस्या को सुलझाने में नई वैश्विक शक्तियों ने भी ध्यान नहीं दिया।