समाज से खत्म की कुरीतियां, सती प्रथा के लिए बनवा दिया कानून; आज ही के दिन जन्मे थे राजा राम मोहन राय
Raja Ram Mohan Roy Birth Anniversaryभारत के समाज सुधारक राजा राम मोहन राय का जन्म आज ही के दिन 22 मई साल 1772 में हुआ था। उन्हें आधुनिक भारत का जनक कहा जाता था। उन्होंने समाज में फैली बुराईयों को खत्म करने का काम किया। (जागरण ग्राफिक्स)
By Preeti GuptaEdited By: Preeti GuptaUpdated: Mon, 22 May 2023 04:00 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Raja Ram Mohan Roy Birth Anniversary: भारतीय समाज से सती प्रथा को खत्म करने वाले और महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने वाले महान राज राम मोहन राय का जन्म आज ही के दिन 22 मई, साल 1772 में हुआ था। उन्होंने भारतीय समाज की रूढ़िवादी विचारधारा को बदलने का काम किया। जब भारतीय समाज में महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में पता ही नहीं था, तो राजा राम मोहन राय ने महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया।
राजा राममोहन राय के भारतीय सामाज और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में कई योगदान हैं, जिसके आज भी लोग शुक्रगुजार हैं। राम मोहन राय ने सती प्रथा को तो खत्म किया ही, साथ ही में उन्होंने शिक्षा को भी बढ़ावा दिया। राजा राम मोहन को "राजा" का टाइटल मुगल बादशाह अकबर II ने दिया था। उन्हें कम उम्र में ही अरबी, संस्कृत, पर्शियन, इंग्लिश, बंगाली और हिंदी भाषाओं का ज्ञान हो गया था।
राजा राममोहन का जन्म कब और कहां हुआ?
राजा राम मोहन राय का जन्म 22 मई, 1772 को बंगाल के राधानगर में एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम रमाकांत और मां का नाम तारिणी देवी था। वह ब्रह्म समाज के संस्थापक थे। साथ ही उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम योगदान दिया था। वो ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने East India Company की नौकरी छोड़ खुद को राष्ट्र समाज में झोंक दिया। उन्होंने आजादी से पहले भारतीय समाज को सती प्रथा, बाल विवाह से निजात दिलाई।ब्रह्म समाज की स्थापना की
राजा राम मोहन राय को समाज सुधारक कहा जाता है। उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। 20 अगस्त,1828 में राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी। इसका एक उद्देश्य अलग-अलग धार्मिक आस्थाओं में बँटी हुई जनता को एकजुट करना तथा समाज में फैली कुरीतियों को दूर करना था। उन्होंने ब्रह्म समाज के अन्तर्गत कई धार्मिक रूढ़ियों को बंद करा दिया था। वहीं, उन्होंने साल 1815 में आत्मीय सभा की स्थापना की थी।जिंदगी का एक अनुभव...सती प्रथा का अंत
दिन था 4 दिसंबर, साल 1829 तत्कालीन ब्रिटिश भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती रेग्युलेशन पास किया था। इस कानून के माध्यम से पूरे ब्रिटिश भारत में सती प्रथा पर रोक लगा दी गई। इसका पूरा श्रेय राजा राम मोहन राय को जाता है, उन्होंने इस कुरीति को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी। उनके एक अनुभव ने इस कुरीति को खत्म करने के उन्हें प्रेरित किया। दरअसल, राजा राम मोहन राय किसी काम से विदेश गए थे और इसी बीच उनके भाई की मौत हो गई। उनके भाई की मौत के बाद सती प्रथा के नाम पर उनकी भाभी को जिंदा जला दिया गया। इस घटना से वह काफी आहत हुए और ठान लिया कि जैसा उनकी भाभी के साथ हुआ, वैसा अब किसी और महिला के साथ नहीं होने देंगे। उन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ी। राम मोहन राय ने कई विरोधों का नेतृत्व किया और इसके उन्मूलन के लिए अंग्रेजों को याचिकाएं लिखी थीं। उनके प्रयासों की बदौलत अंग्रेजों ने 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था।