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Ram Mandir: नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ मंदिर जाने से क्यों रोका था? फिर याद आया कांग्रेस का सात दशक पुराना किस्सा

आज से सात दशक पहले जब सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था तब तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने समारोह से दूरी बनाई थी और तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद समारोह में शामिल हुए थे तब पंडित नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद के फैसले का विरोध किया था। आज कांग्रेस ने राम मंदिर का निमंत्रण अस्वीकार करके फिर से कुछ वैसा ही फैसला लिया है।

By Devshanker Chovdhary Edited By: Devshanker Chovdhary Updated: Thu, 11 Jan 2024 06:06 PM (IST)
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पंडित नेहरू के विरोध के बावजूद राजेंद्र प्रसाद गए थे सोमनाथ मंदिर। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Ram Mandir: कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बनाकर वही गलती की है, जो गलती कभी पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी। उस वक्त पंडित नेहरू सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन में नहीं गए थे और आज कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे ने राम मंदिर उद्घाटन समारोह में जाने से इनकार कर दिया।

जब राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू की एक ना सुनी

आज से सात दशक पहले 11 मई, 1951 को गुजरात में सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शामिल होने से साफ इनकार कर दिया था। वहीं, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद सोमनाथ मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे, जिसपर पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आपत्ति जताई थी और उनके शामिल होने का विरोध किया था। उस वक्त लोगों ने भी नेहरू के विरोध का समर्थन किया था और नेहरू ने आगामी चुनावों में भी इसे भुनाया था। ठीक इसी तरह कांग्रेस ने अभी फैसला लिया है और राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इनकार किया है।

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पंडित नेहरू ने राष्ट्रपति का क्यों किया था विरोध?

पंडित नेहरू ने उस वक्त जिस वजह से सोमनाथ मंदिर नहीं जाने का फैसला किया था, उसका उन्हें परिणाम भी मिला था। आगामी चुनावों में उन्हें जीत भी मिलीं। कांग्रेस ने उसी तर्ज पर आज ये फैसला लिया है, लेकिन आज हालात बदल चुके हैं। 

पार्टी के फैसले पर कांग्रेस नेताओं का विरोध 

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जाने के फैसले पर पार्टी के कई नेताओं ने विरोध जताया है। इनमें गुजरात के कांग्रेस नेता अंबरीश डेर, कांग्रेस विधायक अर्जुन मोढवाडिया, आचार्य प्रमोद कृष्ण सहित कई नेता शामिल हैं। 

हिमाचल के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और वर्तमान में राज्य के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ट कहा है कि वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे। साथ ही उन्होंने वीएचपी और आरएसएस को धन्यवाद भी दिया है।

वहीं, एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ के बेटे और कांग्रेस सांसद नकुलनाथ भी राम के रंग में डूबे हुए हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस के फैसले के खिलाफ पार्टी में ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं।

हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर साधा निशाना

कांग्रेस द्वारा राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को अस्वीकार करने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मेरे विचार से उन्हें निमंत्रण ही नहीं देना चाहिए था, लेकिन वीएचपी ने उन्हें (कांग्रेस) अपने कुछ पापों को सुधारने का एक सुनहरा मौका, लेकिन कांग्रेस इससे चूक गई।

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प्रह्लाद जोशी ने याद दिलाया किस्सा

इसके अलावा कांग्रेस के इस फैसले पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का भी बयान सामने आया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस का शुरू से ही यही रवैया रहा है, यहां तक कि जब पुनर्निर्माण के बाद सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन हुआ था, उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति ने वहां जाने का फैसला किया था, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी ने इस कदम का विरोध किया।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि उस दिन से कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण के लिए लगातार हिंदू मान्यताओं का विरोध कर रही है। इन 30-40 वर्षों के दौरान जब भी राम मंदिर का मुद्दा आया, तब कांग्रेस ने उसकी आलोचना की और उसका विरोध किया।