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Artificial Intelligence को लेकर पूरी दुनिया में संशय का माहौल, राजीव चंद्रशेखर ने बताए इसके फायदे और नुकसान

आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (AI) को लेकर पूरी दुनिया में एक संशय का माहौल बना हुआ है। इन मुद्दों पर इलेक्ट्रोनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेकर ( Rajeev Chandrasekhar ) कहते है कि एआइ पूरी तरह से डाटा पर काम करता है। तो सबसे पहले तो सरकार देश में कुछ डाटा सर्वर बनाने का काम करने जा रही है। इसमें कुछ निजी क्षेत्र में होंगे और कुछ सरकारी क्षेत्र में।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Wed, 13 Dec 2023 08:11 PM (IST)
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राजीव चंद्रशेखर ने बताए AI के फायदे और नुकसान (Image: Jagran)

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (AI) को लेकर पूरी दुनिया में एक संशय का माहौल है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को एआइ पर एक वैश्विक सेमिनार (जीपीएआइ) को संबोधित करते हुए नैतिक मूल्य पर आधारित वैश्विक फ्रेमवर्क बनाने का आह्वान किया है। दैनिक जागरण ने इन मुद्दों पर इलेक्ट्रोनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेकर से बात की और एआइ के फायदे व नुकसान के विभिन्न पहलुओं पर सवाल पूछे।

प्रश्न: एआइ के जोखिम की बातें बहुत हो रही है, लेकिन इसके फायदे क्या-क्या हो सकते हैं अगर भारतीय संदर्भ में बात करें तो?

उत्तर: एआइ के फायदे के बारे में पीएम मोदी ने एक दिन पहले कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी के जरिए आम जनता का जो सशक्तिकरण हुआ है उसे और ज्यादा विस्तार देना है। एआइ के पास समाज के एक बड़े वर्ग की भलाई करने की अपार क्षमता है। एक उदाहरण कृषि क्षेत्र का लीजिए। इसके जरिए बहुत ही सटीक तरीके से बताया जा सकता है कि आने वाला मौसम कैसा रहेगा, किस चीज का उत्पादन करना चाहिए और कैसा करना चाहिए। पूरा भूमि-प्रबंधन, बाढ़ प्रबंधन से जुड़ी हर सूचना सटीक हो सकती है और समय से पहले किसानों तक पहुंचाई जा सकती है।

इसी तरह से एआइ अभी भाषाओं की वजह से ज्ञान हासिल करने में जो दिक्कतें हैं उसी खत्म किया जा सकता है। किसी भी भाषा में कोई भी सूचना हासिल करने से बड़ी क्रांति आ सकती है। इसके जरिए हम समूचे हेल्थ सेक्टर को पूरी तरह से बदल सकते हैं। भारत के पास अपार डाटा है और एआइ इस डाटा के जरिए हमें एक स्वस्थ जिंदगी जीने की राह दिखा सकता है। एआइ से गवर्नेंस में भी बहुत बदलाव आने वाला है।

प्रश्न: इसमें भारत सरकार क्या भूमिका निभाएगी?

उत्तर: सरकार का बहुत ही बड़ा रोल होगा। वह इसलिए कि एआइ पूरी तरह से डाटा पर काम करता है। तो सबसे पहले तो सरकार देश में कुछ डाटा सर्वर बनाने का काम करने जा रही है। इसमें कुछ निजी क्षेत्र में होंगे और कुछ सरकारी क्षेत्र में। यह एक तरह से एआइ के लिए स्थापित डाटा सेंटर होगा। यहां देश के रिसर्च संस्थान, स्टार्ट अप या दूसरी कोई भी कंपनी जो एआइ पर काम करना चाहती है उसे डाटा के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं होना पड़े। हम इसके लिए इंडिया डाटा प्रोग्राम बना रहे हैं।

इसके लिए कानूनी भी बनाया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सिर्फ विश्वसनीय कंपनियों को ही यह डाटा दे। सरकार की एक अन्य अहम भूमिका पूरे देश में एआइ के लिए जरूरी प्रतिभाओं को तैयार करना और उसकी भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इसकी आपूर्ति की जाए। हम 20 हजार एआइ इंजीनियर तीन से चार वर्षों में तैयार करना चाहते हैं।

प्रश्न: एआइ के जोखिम को लेकर काफी ज्यादा चर्चा है, इससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने की आपके सरकार की क्या रणनीति होगी?

उत्तर: एआइ के अनियंत्रित विकास से कई तरह की जोखिम सामने आ सकती है, यह बात सच है। पीएम मोदी ने ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस (जीपीएआइ) का उद्घाटन करते हुए इसके कई जोखिमों जैसे डीपफेक, आतंकियों के हाथ में एआइ से लैस हथियारों के पहुंचने आदि की बात की है। यह भी सच है कि एआइ जिस तरह से खतरे पैदा कर सकती उससे अकेले कोई देश नहीं लड़ सकता है।

यही वजह है कि पीएम मोदी ने इसके लिए नैतिक मूल्यों पर आधारित वैश्विक फ्रेमवर्क का प्रस्ताव रखा है। हम कोशिश कर रहे हैं कि नई दिल्ली में चल रही जीपीएआइ के तहत 28 देशों की बैठक के बाद जो घोषणापत्र जारी हो उसमें आगे का रास्ता दिखाई दे। भारत अब जीपीएआइ का अध्यक्ष बन गया है। हमें नये अविष्कार करते समय इससे जुड़े नैतिक व कानूनी दायरे को नहीं भूलना चाहिए। कुछ बातों का ध्यान प्रौद्योगिक कंपनियों को भी रखना होगा कि इस सेक्टर में हर चीज कानून से नियंत्रित नहीं हो सकता। उन्हें नैतिक मूल्यों का ख्याल रखना होगा।

प्रश्न: एआइ सेक्टर में भारत का भविष्य कैसा रहेगा?

उत्तर: हमारी सरकार आज से नहीं बल्कि दो वर्षों से काम कर रही है। हम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठा रहे हैं। लेकिन यह ऐसा सेक्टर है जिसमें लगातार बदलाव हो रहा है और आगे क्या बदलाव होगा इसको लेकर स्पष्टता नहीं है। इसके साथ ही मैं यह कहना चाहूंगा कि भारत सरकार का साफ मत है कि एआइ जिस तरह से प्रौद्योगिकी के जरिए बदलाव लाने जा रहा है उसे दिशा देने में भारत अग्रणी देशों में होगा। एआइ किस तरफ जाता है, इसे तय करने में प्रौद्योगिकी लीडर के तौर पर भारत की भूमिका होगी।

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