Move to Jagran APP

विवादित ढांचे का ताला खुलवाने के लिए राजीव गांधी नहीं, कांग्रेस जिम्मेदार: मणिशंकर अय्यर

मणिशंकर अय्यर ने 22 जनवरी को रामलाल के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण अस्वीकार करने के कांग्रेस नेतृत्व के फैसले की भी सराहना की। ताला खोलने के पीछे अरुण नेहरू का हाथ बताते हुए अय्यर ने कहा कि चूंकि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू लखनऊ के एक स्कूल में पढ़े थे इसलिए रामजन्मभूमि का मुद्दा उनके दिमाग में था।

By Agency Edited By: Amit Singh Updated: Sat, 20 Jan 2024 06:15 AM (IST)
Hero Image
राजीव गांधी जिंदा होते तो विवादित ढांचा आज भी खड़ा होता
पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में 1986 में विवादित ढांचे के गेट का ताला खुलवाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी नहीं, बल्कि कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार थी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अरुण नेहरू को 'प्लांट' करवाया था जो इसके पीछे थे।अय्यर अपनी किताब 'द राजीव आइ न्यू एंड व्हाई ही वाज इंडियाज मोस्ट मिसअंडरस्टुड प्राइम मिनिस्टर' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि अगर राजीव गांधी जिंदा रहे होते और पीवी नरसिम्हा राव के स्थान पर प्रधानमंत्री होते तो विवादित ढांचा आज भी खड़ा होता, भाजपा को उचित जवाब दिया गया होता और उन्होंने भी वैसा ही कोई समाधान निकाला होता जैसा सुप्रीम कोर्ट ने वर्षों बाद निकाला। अय्यर ने कहा, 'वह (राजीव गांधी) कह रहे थे कि मस्जिद को बनाए रखो और मंदिर बनाओ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर बनाओ और मस्जिद कहीं और बनाओ। एक तरह से फैसला वही है जिस निष्कर्ष पर राजीव पहुंच रहे थे।'

अय्यर ने 22 जनवरी को रामलाल के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण अस्वीकार करने के कांग्रेस नेतृत्व के फैसले की भी सराहना की। ताला खोलने के पीछे अरुण नेहरू का हाथ बताते हुए अय्यर ने कहा कि चूंकि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू लखनऊ के एक स्कूल में पढ़े थे, इसलिए रामजन्मभूमि का मुद्दा उनके दिमाग में था। इसलिए उन्होंने एक गुमनाम से व्यक्ति वीर बहादुर सिंह को मुख्यमंत्री के रूप में निर्वाचित कराने के लिए पार्टी के भीतर अपनी ताकत का इस्तेमाल किया।

सिंह ने सबसे पहले अयोध्या जाकर देवकी नंदन अग्रवाल (इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व जज) और अन्य से मुलाकात की। उन्होंने उनसे एक याचिका हासिल कर ली जिसके मुताबिक ताले न्यायिक आदेश से नहीं, बल्कि कार्यकारी आदेश से लगाए गए थे। इसके बाद एक फरवरी, 1986 को जब मामला फैजाबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के सामने आया तो जिला मजिस्ट्रेट एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पुष्टि की शांति एवं कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ताले जरूरी नहीं थे।

ताले खोले गए और बड़ी संख्या में हिंदू श्रद्धालु अंदर पहुंच गए जिन्हें जानबूझकर इकट्ठा किया गया था। राजीव गांधी को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। ताला खोलने में कांग्रेस का हाथ था, लेकिन उस कांग्रेसी को पता था कि राजीव गांधी कभी भी कार्यकारी आदेश को रद करके तालों को खोलने की अनुमति नहीं देते, यही कारण हैं कि उन्होंने राजीव को इससे दूर रखा। अय्यर ने कहा कि कहानी का अंत यह है कि अरुण नेहरू भाजपा में शामिल हो गए और वह भाजपा द्वारा 'प्लांट' किए गए थे।