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'हिंद महासागर में भारत पसंदीदा सुरक्षा साझीदार', राजनाथ सिंह बोले- 2047 तक नौसेना को बनाएंगे पूर्ण आत्मनिर्भर

Rajnath Singh केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को नौसेना के कमांडरों की दूसरी बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा साझीदार के रूप में देखा जाता है। राजनाथ सिंह ने दावा किया कि अब नौसेना को एक खरीददार से वर्ष 2047 तक पूर्णतया आत्मनिर्भर बना दिया जाएगा।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Thu, 19 Sep 2024 11:05 PM (IST)
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रक्षा मंत्री ने बताया कि शिपयार्डों में फिलहाल 64 जहाजों और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं। (File Image)

एएनआई, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत को अब हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा साझीदार के रूप में देखा जाता है। उन्होंने भारतीय नौसेना को हिंद महासागर में शांति और समृद्धि बढ़ाने में महती भूमिका निभाने के लिए सराहने करते हुए कहा कि यह क्षेत्र आर्थिक, जियोपॉलिटिकल, व्यापारिक और सुरक्षा की दृष्टि से बेहद मूल्यवान और संवेदनशील है।

रक्षा मंत्री ने गुरुवार को यहां नौसेना के कमांडरों की दूसरी बैठक में जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भारतीय नौसेना को अत्याधुनिक युद्धपोतों, पनडुब्बियों आदि से लैस करके उसकी क्षमताओं को बढ़ाकर उसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया है। अब नौसेना को एक खरीददार से वर्ष 2047 तक पूर्णतया आत्मनिर्भर बना दिया जाएगा।

64 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन: राजनाथ सिंह 

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय शिपयार्डों में मौजूदा समय में 64 जहाजों और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं। 24 अतिरिक्त प्लेटफार्मों पर भी निर्माण के आदेश दिए गए हैं। पिछले पांच सालों में नौसेना के आधुनिकीकरण बजट के दो-तिहाई हिस्से को स्वदेशी अधिग्रहण में खर्च किया गया है। इससे घरेलू डिफेंस इकोसिस्टम में बढ़-चढ़कर विकास हुआ है।

उन्होंने सैन्य सुरक्षा के दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि पहले भारत को समुद्री तटों वाले और जमीन से घिरे देश के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब इसे द्वीप देश के रूप में देखा जाता है, जिसकी जमीन पर भी सीमाएं हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है। इससे ही यह महासागरीय क्षेत्र बहुमूल्य बनता है, लेकिन इसी क्षेत्र में समुद्री लुटेरों, जहाजों के अपहरण, ड्रोन हमले, मिसाइलों के हमले और समुद्री केबिल कनेक्शन में बाधा आना भी इसे अत्यधिक संवेदनशील बनाता है।