Rajouri Encounter राजौरी में आंतकियों से मुठभेड़ में बलिदान हुए 5 भारतीय जवानों के घर मातम छाया है। बलिदानियों की खबर से हर भारतीय गम में डूबा है। बलिदान हुए पांचों जवानों के जीवन की कहानियां भी काफी गमगीन है। कोई जम्मू से था तो कोई आगरा से। किसी की दो हफ्तों में शादी होने वाली थी तो कोई छुट्टी पर जाने को काफी उत्सुक था।
By Mahen KhannaEdited By: Mahen KhannaUpdated: Fri, 24 Nov 2023 02:39 PM (IST)
जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Rajouri Encounter जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आंतकियों से मुठभेड़ में 5 भारतीय जवान बलिदान हो गए। लगभग 36 घंटे चली इस मुठभेड़ में 2 कैप्टन भी बलिदान हो गए। वहीं, सेना की इस कार्रवाई में लश्कर के दो आतंकी भी ढेर हो गए।
बलिदान हुए पांचों जवानों के जीवन की कहानियां भी काफी गमगीन है। कोई जम्मू से था तो कोई आगरा से। किसी की दो हफ्तों में शादी होने वाली थी, तो कोई छुट्टी पर जाने को काफी उत्सुक था।
आइए जानें, सभी के बारे में...
मां चिंता न कर, सबकी डेट फिक्स है
पापा, हम नहीं देश की सेवा करेंगे तो कौन करेगा? यह शब्द और किसी के नहीं, बल्कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले कैप्टन शुभम गुप्ता के थे। शुभम जब भी अपनी माता पुष्पा और पिता जिला शासकीय अधिवक्ता बसंत गुप्ता को फोन करते तो उन्हें हमेशा हिम्मत देते और कहते की अपना ध्यान जरूर रखा करो।
वो हमेशा मौत को लेकर कहते थे, जो आज आनी है वो डेट कल भी आएगी।
शुभम हमेशा कहते थे कि मैंने आर्मी इसलिए चुनी ताकि देश की सेवा करूं, इसमें जान जाती है तो जाए। शुभम काफी खुशनुमा इंसान थे, वो बच्चों के साथ बच्चे बन जाते थे और काफी मजाक करते थे। शुभम जल्द ही छुट्टी पर घर आने वाले थे।
कैप्टन एम वी प्रांजल
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कैप्टन एम वी प्रांजल का पार्थिव शरीर आज बेंगलुरु पहुंचेगा। 63 राष्ट्रीय राइफल्स के 29 वर्षीय जवान ने बुधवार को राजौरी सेक्टर में आतंकवादियों के साथ गोलीबारी के दौरान अपनी जान गंवा दी।मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड (एमआरपीएल) के सेवानिवृत्त प्रबंध निदेशक एम वेंकटेश के बेटे, प्रांजल ने अपनी स्कूली शिक्षा दक्षिण कन्नड़ जिले के सुरथकल में की।
एमआरपीएल के दिल्ली पब्लिक स्कूल से कैप्टन प्रांजल ने पढ़ाई की थी, जहां उन्होंने 'राष्ट्रपति स्काउट' होने का गौरव प्राप्त किया। प्रांजल पढ़ाई में काफी तेज थे और उन्हें स्कूल में काफी होशियार माना जाता था। प्रांजल की दो साल पहले ही शादी हुई थी।
कुमाऊं के बेटे ने प्राण न्योछावर किए
पांच बलिदानियों में से एक कुमाऊं के 28 वर्षीय संजय सिंह बिष्ट ने देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया। जांबाज संजय बचपन से ही देश सेवा के लिए तत्पर था और सेना में ही भर्ती होना चाहता था। 12वीं पास करते ही संजय साल 2012 में 19-कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हो गया था।
कड़ी मेहनत के बाद वो नाइन पैरा की स्पेशल फोर्स में कमांडो बन गया।
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अलीगढ़ के लाल की 8 दिसंबर को होनी थी शादी
घर में शादी की तैयारियां चल रहीं थी और खबर आती है बेटा नहीं रहा। अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र के नगलिया गौरोला निवासी सचिन लौर बलिदान हो गए। दो हफ्ते बाद आठ दिसंबर को सचिन की शादी थी और उनके बलिदान होने की खबर आ जाती है। सचिन लौर 2019 में ही सेना में भर्ती हुए थे और तब से जम्मू में तैनात थे। वो 2021 में स्पेशल फोर्स में कमांडो बने।
सचिन के भाई भी नेवी में देश की सेवा कर रहे हैं। सचिन के जाने बाद पूरा परिवार सदमे में है।
हवलदार अब्दुल माजिद
पैरा कमांडो अब्दुल माजिद भी इस ऑपरेशन में बलिदान हो गए। माजिद का परिवार एलओसी स्थित एक गांव में रहता है। उनके घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। माजिद अब अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चे छोड़ गए हैं। बता दें कि माजिद के परिवार का सेना से पुराना नाता है।
उनके मौसेरे भाई नसीर भी पुंछ के तरकुंडी सेक्टर में पाकिस्तानी गोलीबारी का जवाब देते बलिदान हुए थे।
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