भारत व श्रीलंका के बीच फिर बन सकता है 'राम-सेतु'! दोनों देशों को स्थल मार्ग से भी जोड़ने का प्रस्ताव
प्रधानमंत्री मोदी और विक्रमसिंघे की बैठक में श्रीलंका के तीन बड़े बंदरगाहों कोलंबो त्रिकोमली और कांकेसांथुरई को विकसित करने और यात्री नौका सेवाओं को फिर से शुरू करने की सहमति बनी है। माना जा रहा है कि जिस तरह से भारत ने आगे बढ़कर श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबरने में मदद किया है उसका असर वहां के राजनीतिक वर्ग पर पड़ा है।
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 21 Jul 2023 10:21 PM (IST)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। क्या भारत और श्रीलंका के बीच फिर 'राम-सेतु' का निर्माण हो सकता है? इसका जवाब का पता तब चलेगा जब भारत सरकार की तरफ से दोनों देशों को सड़क मार्ग से जोड़ने की योजना की संभावनाओं पर अध्ययन कराया जाएगा। यह अध्ययन शीघ्र कराये जाने को लेकर दोनों देशों में सहमति बनी है।
PM मोदी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति से की वार्ता
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की तरफ से यह प्रस्ताव आया कि दोनों देशों के बीच जमीन के जरिए भी कनेक्टिवटी होनी चाहिए। प्रस्ताव पीएम मोदी को अच्छा लगा और इस पर अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने की सहमति बनी। दोनों नेताओं की बैठक के बाद जारी आर्थिक साझेदारी के भावी रोडमैप क प्रपत्र में भी इसका जिक्र है।
मोदी और विक्रमसिंघे के बीच आर्थिक व रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने को लेकर बात हुई। भारत की तरफ से श्रीलंका में चीन की बढ़ती गतिविधियों का मामला भी उठाया गया।
भारत-श्रीलंका इकोनोमिक पार्टनरशिप विजन में कहा गया है कि,
भारत और श्रीलंका के बीच स्थल मार्ग से कनेक्टिविटी के लिए काम किया जाएगा ताकि त्रिकोमली और कोलंबो पोर्ट तक पहुंच बन सके। यह दोनों देशों को आर्थिक दृष्टिकोण से फायदा पहुंचाएगा और संपन्नता लाएगा। साथ ही दोनों देशों के बीच सैकड़ों वर्ष पुराने रिश्ते को मजबूत करेगा। शीघ्र ही इस कनेक्टिविटी के लिए संभाव्यता अध्ययन करने का प्रस्ताव है।
'कोलंबो और त्रिकोमली एक बड़े पोर्ट के तौर पर हो रहे स्थापित'
इस बारे में पूछने पर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि पहले भी दोनों देशों को सड़क मार्ग से जोड़ने का प्रस्ताव आया है, लेकिन इस बार श्रीलंका के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। कोलंबो और त्रिकोमली एक बड़े पोर्ट के तौर पर स्थापित हो रहे हैं और उनको सड़क मार्ग से पूरे भारत को जोड़ना आर्थिक तौर पर काफी संभावनाओं वाला दांव दिखाई देता है। भविष्य में इस तरह का सड़क मार्ग विकसित किया जा सकता है जो दक्षिण भारत के प्रमुख बंदरगाहों को श्रीलंका के बंदरगाहों से जोड़ सके।वैश्विक रणनीति में हिंद महासागर की बढ़ती अहमियत के मद्देनजर भी यह महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। दरअसल, पूर्व में भी कुछ एजेंसियां भारत और श्रीलंका के बीच सड़क व रेल मार्ग बनाने पर अपनी रिपोर्ट देती रही हैं।