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Ram Mandir: '2500 साल में एक बार आने वाला भीषण भूकंप भी...', वैज्ञानिकों ने राम मंदिर की मजबूती को लेकर और क्या किया दावा?

अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर देश-विदेश के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मंदिर 2500 सालों में एक बार आने वाले भीषण भूकंप को भी झेल सकता है। मंदिर की डिजाइन को 50 से अधिक कंप्यूटर मॉडलों का अनुकरण करने और सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थितियों के तहत उनका विश्लेषण करने के बाद सिफारिश की गई थी।

By Agency Edited By: Sonu Gupta Published: Tue, 30 Jan 2024 12:07 AM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2024 12:07 AM (IST)
2500 साल में एक बार आने वाला भीषण भूकंप भी नहीं हिला पाएगा राम मंदिर की नींव।

पीटीआई, नई दिल्ली। अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर देश-विदेश के भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई, जिसके बाद से ही प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मंदिर 2500 सालों में एक बार आने वाले भीषण भूकंप को भी झेल सकता है।

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान ने किया अध्ययन

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान से संबद्ध केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CSIR-CBRI) रुड़की ने अयोध्या के मंदिर स्थल पर कई वैज्ञानिक अध्ययन किए हैं, जिनमें भू-तकनीकी विश्लेषण, नींव डिजाइन पुनरीक्षण और 3-D संरचनात्मक विश्लेषण और डिजाइन शामिल हैं।

वैज्ञानिकों ने क्या कहा?

केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के एक एक वरिष्ठ वैज्ञानिक देबदत्ता घोष ने कहा कि मंदिर की संरचना पर वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था, जिसमें पता चला कि अधिकतम संभावित भूकंप के लिए मंदिर की संरचनात्मक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन किया गया था, जो 2,500 साल की अवधि के बराबर है

1000 साल तक मंदिर में नहीं आएगी कोई खामी

उन्होंने कहा कि मंदिर की डिजाइन को 50 से अधिक कंप्यूटर मॉडलों का अनुकरण करने और सुरक्षा के लिए विभिन्न स्थितियों के तहत उनका विश्लेषण करने के बाद सिफारिश की गई थी। उन्होंने बताया कि संपूर्ण संरचना का निर्माण बंसी पहाड़पुर बलुआ पत्थर से बनाया गया है और मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि मंदिर में एक हजार साल तक किसी तरह की कोई खामी नहीं आएगी।

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डिजाइन की हुई है समीक्षा

वैज्ञानिक घोष ने कहा कि CSIR-CBRI में संरचनाओं के संरक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्र के समन्वयक घोष और मनोजीत सामंत ने नींव की डिजाइन, 3 डी संरचनात्मक विश्लेषण और राम मंदिर के डिजाइन की समीक्षा और निगरानी करने के लिए गठित टीम का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि CSIR-CBRI के निदेशक प्रदीप कुमार रामंचरला और उनके पूर्ववर्ती एन गोपालकृष्णन ने इन सभी वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन किया था।


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