Move to Jagran APP

one country one election: एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर रामनाथ कोविंद ने पूर्व सीजेआइ से की चर्चा, पूर्व राष्ट्रपति ने कही ये बात

एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक साथ चुनाव के मुद्दे पर देश के पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ परामर्श किया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मेघालय हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा से भी मुलाकात की।

By Jagran News Edited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 28 Jan 2024 06:53 AM (IST)
Hero Image
एक देश-एक चुनाव के मुद्दे पर रामनाथ कोविंद ने पूर्व सीजेआइ से की चर्चा
पीटीआई, नई दिल्ली। एक राष्ट्र एक चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति के प्रमुख व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने एक साथ चुनाव के मुद्दे पर देश के पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ परामर्श किया है।

एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि सेवानिवृत्त जजों के साथ अपने विचार-विमर्श जारी रखते हुए, कोविंद ने मेघालय हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी और बार काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा से भी मुलाकात की। इन लोगों ने इस विषय पर अपनी सुविचारित राय दी।

चुनाव से उच्च आर्थिक विकास को गति मिलेगी

इस बयान में यह भी कहा गया कि समिति की शनिवार को बैठक हुई जिसमें पैनल के सदस्य और पूर्व वित्त आयोग प्रमुख एनके सिंह और प्राची मिश्रा द्वारा सह-लिखित शोध पत्र 'मैक्रोइकोनामिक इंपैक्ट आफ हार्मोनाइजिंग इलेक्टोरल साइकल, एविडेंस फ्राम इंडिया' पर एक प्रेजेंटेशन दिया गया। प्रेजेंटेशन में संकेत दिया कि एक साथ चुनाव से उच्च आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

शनिवार की बैठक में राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, एन के सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप, पूर्व सीवीसी संजय कोठारी और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे भी शामिल हुए। यह समिति की चौथी बैठक थी।

जमीनी स्तर पर लोकतंत्र मजबूत होगा- कोविंद

बयान में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के साथ अपनी चर्चा जारी रखते हुए कोविंद ने गोवा की महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के अध्यक्ष दीपक 'पांडुरंग' धवलीकर के साथ बातचीत की। पार्टी ने एक राष्ट्र, एक चुनाव की अवधारणा को अपना मजबूत समर्थन देने की पेशकश की। पार्टी का मानना है कि इससे जमीनी स्तर पर लोकतंत्र मजबूत होगा।