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रतन टाटा, गोदरेज से लेकर फिरोज गांधी तक; ये हैं पारसी समुदाय के सबसे चर्चित चेहरे, जिन्होंने दुनिया में बनाई पहचान

Famous Parsis in India देश ने हाल ही में रतन टाटा के रूप में अपने एक बहुमूल्य रत्न को खो दिया। रतन टाटा पारसी समुदाय से आते थे। इस समुदाय ने सैकड़ों सालों से भारत के निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आज हम बताने जा रहे हैं पारसी समुदाय से आने वाली भारत की कुछ प्रमुख हस्तियों के बारे में जिन्होंने देश ही नहीं दुनिया में नाम कमाया।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 12 Oct 2024 08:09 PM (IST)
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विभिन्न क्षेत्रों में पारसी समुदाय का उल्लेखनीय योगदान रहा है। (File Image)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर पूरे देश ने शोक मनाया। उनके देहांत पर देश की तरक्की के लिए दिए गए उनके योगदान को फिर से याद किया गया। रतन टाटा पारसी समुदाय से आते थे। इस समुदाय ने रतन टाटा ही नहीं, बल्कि कई ऐसी शख्सियत देश को दीं, जिन्होंने देश ही नहीं दुनियाभर में नाम कमाया और भारत का भी मान बढ़ाया। पारसी समुदाय से आने वाले ऐसे ही कुछ चर्चित चेहरों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

पारसी समुदाय का इतिहास

पारसी धर्म को विश्व के सबसे प्राचीन धर्मों में से एक बताया जाता है। इसकी स्थापना पैगंबर जरथुस्त्र ने ईरान में करीब 3500 साल पहले की थी। इस धर्म का प्रचलन इस्लाम से पहले ही ईरान में मिलता है। इस धर्म के लोग एक ही ईश्वर को मानते हैं और अहुरमज्दा भगवान के प्रति आस्था रखते हैं।

सातवीं शताब्दी में इस्लाम के उत्थान के बाद पारसी समुदाय के लोग ईरान से दुनिया के अलग अलग स्थानों पर चले गए। इन्हीं में से कुछ लोग एक नाव पर सवार होकर भारत आये और यहां गुजरात के नवसारी में बस गए। वर्तमान में भारत में इनकी संख्या लगभग एक लाख के करीब है। इनमें से अधिकतर आबादी, लगभग 70% मुम्बई में रहती है।

भारत के सबसे चर्चित पारसी

रतन टाटा

रतन टाटा भारत के अब तक के सबसे बड़े और मशहूर उद्योगपतियों में से एक रहे हैं। टाटा ग्रुप का प्रतिष्ठित चेहरा रहे रतन टाटा ने कंपनी की 150 साल से भी ज्यादा पुरानी विरासत को बढ़ाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। अपने कार्यकाल में उन्होंने टाटा ग्रुप को वैश्विक प्रसिद्धि दिलाई। उनके नेतृत्व में ग्रुप का कारोबार तेजी से आगे बढ़ा और देश ही नहीं दुनियाभर में इसका डंका बजा।

अर्देशिर गोदरेज

(अर्देशिर गोदरेज (Photo- Internet Media))

गोदरेज एक बहुराष्ट्रीय भारतीय कंपनी है और आज जाना-माना नाम है। इस समूह की स्थापना अर्देशिर गोदरेज ने की थी, दो कि पारसी समुदाय से आते थे। वह पेशे से वकील थे। उन्होंने वर्ष 1897 में वकालत छोड़कर ताला बनाने का कारोबार शुरू किया था। धीरे-धीरे यह इसका साम्राज्य फैलता गया। वर्तमान में गोदरेज ग्रुप दुनिया के 50 देशों में बिजनेस कर रहा है और 20 से ज्यादा क्षेत्रों में कंपनी के कारोबार हैं।

होमी जहांगीर भाभा

होमी जहांगीर भाभा भारत के सबसे प्रमुख वैज्ञानिकों में से एक हैं। उन्होंने ही भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में अपने काम को लेकर मशहूर थे। वह उन वैज्ञानिकों में से, जिनके नाम से अमेरिका भी कांपता था। अमेरिका को इस बात का खौफ था कि भाभा की वजह से कहीं भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में उससे आगे न निकल जाए।

साइरस पूनावाला

साइरस पूनावाला एक भारतीय पारसी व्यवसायी हैं, जिन्हें भारत के वैक्सीन किंग के रूप में भी जाना जाता है। वे पूनावाला समूह के अध्यक्ष हैं, जिसके अंतर्गत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया आता है। यह 170 से अधिक देशों में टीके निर्यात करता है।

फिरोज गांधी

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी एक राजनेता के साथ-साथ पत्रकार भी थे। इसके अलावा वो लोकसभा के सदस्य भी रहे। फिरोज गांधी का जन्म मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर एवं माता का नाम रतिमाई था।

बोमन ईरानी

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता और कई यादगार किरदार निभाने वाले बोमन ईरानी भी पारसी समुदाय से आते हैं। उनका जन्म 2 दिसंबर 1959 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। कठिन परिश्रम से उन्होंने अपने दम पर भारतीय सिनेमा में अपनी पहचान बनाई। थिएटर में अभिनय और काम से पहचान बनाने के बाद उन्होंने मुन्नाभाई एमबीबीएस, ‘लगे रहो मुन्ना भाई, 3 इडियट्स जैसी कई अन्य कई यादगार फिल्मों में काम किया।

जमशेदजी टाटा

जमशेदजी टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया वह असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। जब सिर्फ अंग्रेज ही उद्योग स्थापित करने में कुशल समझे जाते थे, जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था।

दादाभाई नौरोजी

दादा भाई नौरोजी द ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर थे। वो इसी नाम से ब्रिटिश संसद में चुने जाने वाले पहले एशियाई थे। संसद सदस्य रहते हुए उन्होंने ब्रिटेन में भारत के विरोध को प्रस्तुत किया। उन्होंने भारत की लूट के संबंध में ब्रिटिश संसद में थ्योरी पेश की। वो ब्रिटिशकालीन भारत के एक पारसी बुद्धिजीवी, शिक्षाशास्त्री, कपास के व्यापारी तथा आरम्भिक राजनैतिक एवं सामाजिक नेता थे।